जापान की दो कंपनियों द्वारा हाल ही में अंग्रेजी को अपनी व्यापारिक भाषा बनाने के फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अंग्रेजी अब विश्व भाषा बन चुकी है और वैश्वीकरण के दौर में अंग्रेजी में संवाद कर पाना बहुत जरूरी हो गया है।
यदि जापान की सरकार अपने देश की प्रोफाइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने को लेकर गंभीर है तो उसे अंग्रेजी सिखाने की बेहतर प्रणालियों और अंग्रेजी में अधिक से अधिक अनुवाद पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
हालांकि अंग्रेजी से जापानी में अनूदित किताबों की संख्या जापानी से अंग्रेजी में अनूदित किताबों की तुलना में कहीं ज्यादा है। जापान की कॉमिक्स और बाल साहित्य जैसी विधाओं ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है।
जापान के प्रकाशकों ने 60 और 70 के दशक में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेलों में बाल साहित्य का प्रसार करना शुरू किया था और अब तीन हजार से ज्यादा जापानी किताबें दुनियाभर के देशों में अनूदित की जाती हैं। चीन से व्यावसायिक संबंधों में सुधार आने के बाद केइगो हिगाशिनो जैसे लेखकों की किताबें चीन में भी लोकप्रिय हुई हैं। हारुकी मुराकामी की किताब वनक्यू८४ तो चीन में बेस्ट सेलर साबित हुई है।
हालांकि इस किताब के अनुवाद की शैली पर बहस जारी है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि अनुवाद के जरिए दुनियाभर के लोगों तक पहुंचा जा सकता है। चाहे अनुवाद अंग्रेजी या चीनी में किया गया हो या किसी अन्य भाषा में।(दैनिक भास्कर,20.9.2010 में,‘द जापान टाइम्स’ की ख़बर) ।
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