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11 सितंबर 2010

डीयू के 12 कॉलेजों पर सरकार की नजर

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग को दिल्ली विश्वविद्यालय से अलग करने के बाद अब दिल्ली सरकार की नजर 12 कॉलेजों पर हैं। यह वही कॉलेज है जिन्हें दिल्ली सरकार सौ फीसदी अनुदान देती हैं और अक्सर इन्हें विश्वविद्यालय से अलग करने के प्रयास करती रहती है।

एक बार फिर उच्च शिक्षा निदेशालय ने फरमान जारी कर साफ कर दिया है कि अब इन कॉलेजों के कर्मचारियांे व शिक्षकों की पेंशन व वेलफेयर स्कीम में दिल्ली सरकार अपना योगदान नहीं देगी। उच्च शिक्षा निदेशालय के डिप्टी डॉयरेक्टर कमल मल्होत्रा की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया है कि 1 जनवरी 2004 के बाद दिल्ली सरकार से 100 फीसदी अनुदान प्राप्त 12 कॉलेजों में पेंशन स्कीम व अन्य वेलफेयर स्कीम जैसे कि हॉउस लोन, वाहन लोन आदि के लिए सरकार की ओर से मदद अब नहीं मिलेगी।

इस फरमान के तहत आने वाले कॉलेजों में आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, डॉ.बी आर.अंबेडकर कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लॉयड साइंस, भगिनी निवेदिता कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फीजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महार्षि वाल्मिकी कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज ऑफ एप्लॉयड साइंस और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज के नाम शामिल है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव कांउसिल के सदस्य डॉ. राजीब रे का कहना है कि इस समूची कवायद का मूल उद्देश्य इन कॉलेजों के कर्मचारियों के मन में डीयू से जुड़े रहने की भावना को खत्म करना है। पेंशन में अपने योगदान को खत्म करके कहीं न कहीं इन कॉलेजों को डीयू से अलग करने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है और ऐसे में हमारी मांग है कि यदि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों का संचालन करने के लिए फंड मुहैया नहीं करा सकती है तो वह इन्हें यूजीसी को सौंप दे।

क्योंकि एक ही विश्वविद्यालय के तहत आने वाले कॉलेजों में अलग-अलग पेंशन स्कीम अनुचित होगी और इससे कर्मचारियों में भी हीन भावना का संचार होगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,११.९.२०१०)।

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