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17 सितंबर 2010

मेरठःकृषि विवि के 201 शिक्षकों की नौकरी खतरे में

मेरठ जिले के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में 2002-05 के बीच नियुक्ति पाने वाले 201 शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। नियुक्तियों में धांधली के बारे में तत्कालीन राज्यपाल द्वारा प्रमुख सचिव से कराई गई जांच रिपोर्ट पांच साल बाद राजभवन पहुंच गई है। अब कार्रवाई की तैयारी है। मेरठ में वर्ष 2000 में कृषि विवि की स्थापना के बाद 04-05 में सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई। डीन, डायरेक्टर, प्रोफेसर, एसएमएस के विभिन्न पदों की नियुक्तियों के लिए तीन विज्ञापन निकाले गये। इस दौरान शिक्षकों के 201 पदों पर नियुक्तियां हुईं। नौकरी न पाने वाले डी के सचान ने राज्यपाल से शिकायत की, जिसमें कहा गया कि एसोसिएट, असिस्टेंट प्रोफेसर्स-डायरेक्टर, एसएमएस समेत विभिन्न पदों पर नियुक्ति के दौरान यूजीसी के नियमों का खुलकर उल्लघंन किया गया है। इन पदों पर पीएचडी और नेट पास न करने वालों की नियुक्ति की गई है। तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने प्रमुख सचिव (भाषा) सिराज हुसैन को इसकी जांच सौंपी। 18 सितंबर 05 को तत्कालीन कुलपति पीपी सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। 19 सितंबर को प्रमुख सचिव ने विवि पहुंचकर जांच शुरू की और कार्यवाहक कुलपति डॉ.आईबी सिंह, सीपीओ बी राम से नियुक्तियों के दस्तावेज प्राप्त किये। उन्होंने 31-12-02 से पहले पीएचडी व नेट पास करने वालों को ही नियुक्ति के योग्य माना। जांच पूरी हुई और रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब पांच साल बाद अचानक राजभवन ने रिपोर्ट तलब कर ली है। सूत्रों की मानें तो उसका अध्ययन कर कार्रवाई की तैयारी भी शुरू हो गई है। यह भनक लगते ही विवि में हड़कंप की स्थिति है। इस बारे में पूछे जाने पर कुलपति अरविंद बख्शी ने कहा कि राजभवन के आदेश का पालन होगा(अनुज शर्मा,मोदीपुरम्,मेरठ,17.9.2010)।

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