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20 सितंबर 2010

राजस्थानः25 एमबीए कॉलेज बंद होने की कगार पर

राजस्थान में एमबीए की डिग्री देने वाले 25 से ज्यादा प्राइवेट मैनेजमेंट कॉलेज इस साल बंद होने की कगार पर हैं। स्थिति यह है कि कई नए प्राइवेट कॉलेजों में एमबीए की 60 सीटों में से आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं। कॉलेज संचालकों ने भास्कर को बताया कि राज्य के 90 प्रतिशत छात्र पहले ही बाहर के कॉलेजों में प्रवेश ले चुके हैं। ऐसे में गिने चुने छात्रों से सालभर चलाना काफी मुश्किल होगा।

9600 ने दी आरमेट : इस साल 142 मैनेजमेंट कॉलेजों की 10 हजार 500 सीटों के लिए 9 हजार 600 विद्यार्थियों ने आरमेट दी थी, लेकिन काउंसलिंग में 2100 ने ही ऑप्शन फार्म भरे, उसमें से भी कई ड्रॉपआउट हो गए। इसके बाद करीब आठ हजार सीटें खाली रह जाने से राज्य सरकार ने कॉलेजों में सीधे प्रवेश की छूट दे दी, उसकी अंतिम तिथि भी 28 अगस्त से बढ़ाकर 10 सितंबर कर दी गई, लेकिन 4 हजार से ज्यादा सीटों पर छात्र अब भी नहीं मिल पाए हैं।

कैट व मेट में पिछड़ा आरमेट : मेट और कैट के जरिए मार्च तक देश के नामी मैनेजमेंट संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाने से 90 फीसदी मेधावी छात्र प्रदेश से बाहर माइग्रेट हो रहे हैं। आरमेट की प्रवेश प्रक्रिया सितंबर तक चलने, इस साल आरमेट काउंसलिंग में देरी किए जाने और एमबी कॉलेज की संख्या बढ़ जाने से प्रवेश के सारे समीकरण बिगड़ गए हैं।

सीटों का दोहरा मापदंड : राज्य में जयपुर, उदयपुर और जोधपुर स्थित प्राइवेट यूनिवर्सिटियों में एमबीए की एक ब्रांच में 353 छात्रों को न्यूनतम 36 प्रतिशत अंकों पर भी प्रवेश दे दिए गए, जबकि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू) से संबंद्ध मैनेजमेंट कॉलेजों को ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता के साथ एक ब्रांच में 60 सीटें ही आबंटित की गई हैं। इससे भी कॉलेजों की गई सीटें खाली रह गई हैं।

खामियाजा भुगतेंगे स्टूडेंट्स : राज्य के सरकारी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में एमबीए की सीटें भर गई हैं, लेकिन नए प्राइवेट कॉलेजों में अब भी 5 से 7 फीसदी सीटें ही भर सकी हैं। ऐसे में ये कॉलेज मिलकर विजिटिंग या गेस्ट फैकल्टी से ही छात्रों को पढ़ाएंगे। नियमित फैकल्टी नियुक्त करना उनके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। ऐसे में खामियाजा छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा।

इनका कहना है

4 साल पहले प्रदेश में 70 मैनेजमेंट कॉलेज थे तथा वर्तमान में 142 हैं। सरकार का सारा ध्यान सिर्फ क्वांटिटी बढ़ाने पर हैं। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और अजमेर में करीब 25 कॉलेज बंद होने की स्थिति में हैं। - प्रो. अरुण मांडोत, निदेशक, सन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, उदयपुर

राज्य में प्राइवेट विश्वविद्यालयों के दबाव में आरमेट काउंसलिंग प्रक्रिया देरी से शुरू की गई है। प्राइवेट कॉलेजों में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों का बैरियर भी सीटें खाली रहने का मुख्य कारण रहा है। - हरीश राजानी, सनराइज कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, उदयपुर(दैनिक भास्कर,उदयपुर,20.9.2010)

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