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20 सितंबर 2010

फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स की बढ़ती मांग

दिन-ब-दिन बढ़ते कॉरपोरेट घोटालों से फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स के लिए रोजगार के अवसर समूची दुनिया में तेजी से बढ़े हैं। इनका काम आम एकाउंटेंट्स से भिन्न होता है। कंपनियों का महज लेखा-खाता तैयार करने तक ही इनका काम सीमित नहीं है बल्कि इन्वेस्टर्स, शेयर होल्डर्स, इनकम टेक्स विभागों आदि को धोखा देने के इरादे से तैयार जाली एकाउंट्स का पता लगाना और दोषी लोगों तक पहुंचने में मदद करने का भी इनका काम है। एक मोटे अनुमान के अनुसार देश में इस वक्त ६ हजार से अधिक फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स की जरूरत है।फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स मोटे तौर पर दो क्षेत्रों में अपना योगदान देते हैं, ये हैं इन्वेस्टीगेटिव एकाउंटिंग और कानूनी मामलों में सबूत जुटाने में मदद करना। इतना ही नहीं, कारॅपोरेट फ्रॉड्स की रोकथाम और नुकसान कम करने में भी इनकी अहम भूमिका नकारी नहीं जा सकती है। बहुचर्चित सत्यम घोटाले के बाद न सिर्फ कॉरपोरेट जगत इस बारे में सचेत हुआ है बल्कि आम शेयरधारक और सरकारी तंत्र भी काफी जागरूक हो गए हैं। नामी कंपनियों में फुलटाइम अथवा अनुबंध आधार पर मोटी फीस की एवज में इस प्रकार के एक्सपर्ट्स को नियुक्त करने का एक नया ट्रेंड ही चल पड़ा है।

एकाउंटस का समस्त कामकाज अब पूरी तरह कंप्यूटर एवं सॉफ्टवेयर आधारित हो चुका है। ऐसे में महज एकाउंटस का जानकार होना इस क्षेत्र में कॅरिअर निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। रोज इससे संबंधित नए सॉफ्टवेयरों का विकास देश-विदेश में किया जा रहा है। इसी कारण स्वयं को इन समस्त तकनीकियों और एकाउंटस के गुरों से अवगत रखना सफलता की ऊंचाइयां छूने की अनिवार्य शर्त कही जा सकती है। अमूमन इन प्रोफेशनलों को इन्वेस्टीगेटिव एजेंसियों, पुलिस और अन्य कानूनी पेशेवरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना पड़ता है इसलिए लॉ का ज्ञान इन्हें आगे बढ़ने में अतिरिक्त सहायता प्रदान करता है।

बैंकों, फाइनेंस कंपनियों, कॉरपोरेट क्षेत्रों, आयातक-निर्यातक कंपनियों, लीजिंग फर्मों, चिट फंड कंपनियों, इंश्योरेंस कंपनियों आदि में अब बड़े पैमाने पर फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स के पद सृजित किए जा रहे हैं। बढ़ते सायबर क्राइम ने भी इस प्रकार के प्रोफेशनल्स की जरूरत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सर्टिफाइड बैंक फॉरेंसिक एकाउंटिंग (सीबीएफए) इस प्रकार के प्रोफेशनल में कदम रखने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इसके अलावा सर्टिफाइड फॉरेंसिक एकाउंटिंग प्रोफेशनल (सीएफएपी) भी एक अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इनका आयोजन विदेशी संस्थानों द्वारा ही अध्ययन के विभिन्न माध्यमों से किया जाता है। इसके अलावा देश में निजी संस्थान भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन करते हैं। बेहतर होगा कि इंटरनेट के जरिए इनके बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने का प्रयास करें।

फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स अपनी जांच पड़ताल में समस्त १०० प्रतिशत लेखा आंकड़ों को पूरी सतर्कता के साथ देखता है जबकि ऑडिटर सिर्फ लेखा कानूनों पर निर्भर होकर जांच कार्य को अंजाम देते हैं। यही कारण है कि इन प्रोफेशनलों से अधिक सतर्क एवं चुस्त रहने की अपेक्षा की जाती है। अच्छे फॉरेंसिक एकाउंटेंट बनने के लिए एकेडेमिक क्वालीफिकेशन के अलवा व्यक्तित्व के कुछ विशिष्ट गुणों का समावेशन भी जरूरी है। इनमें कॉमनसेंस, इंटेलीजेंस, विश्लेषण क्षमता, कानूनी पहलुओं का जानकार, वित्त संबंधी जानकारी, लेखा कार्य में निपुणता तथा व्यावहारिक मनोविज्ञान की बेसिक समझ आदि का विशेष तौर पर उल्लेख किया जा सकता है।

कॉमर्स, एकाउंट्स आदि क्षेत्रों में भविष्य संवारने के इच्छुक युवाओं के लिए निस्संदेह यह क्षेत्र उन्नति के पर्याप्त अवसर प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

देश में प्रतिवर्ष ४० अरब डॉलर से ज्यादा धन वित्तीय घोटालों की भेंट चढ़ जाता है। जबकि बामुश्किल ५०० फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स ही फिलहाल देश में इनकी रोकथाम या पकड़ धकड़ के लिए उपलब्ध हैं। एक अनुमान के अनुसार ६ हजार से अधिक ऐसे प्रोफेशनल्स हमें चाहिए।

फॉरेंसिक एकाउँटिंग के तहत कार्यकलापः

*धन की गलत तरीके से निकासी

*बिजनेस खरीद धांधली

*तलाक के वक्त संपत्ति मूल्यांकन

*गलत तौर तरीकों और अवैध गतिविधियों के कारण हानि

* कर चोरी

*बैंकिंग फ्रॉड

*वित्तीय घपलों में कानूनी साक्ष्य जुटान
(अशोक सिंह,मेट्रो रंग,नई दुनिया,दिल्ली,20.9.2010)

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