मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

10 सितंबर 2010

ई-लर्निंग और हिंदी

हिंदी में ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना और भी आसान हो गया है। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर हो या घर, इन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं।

माइक्रोसॉफ्ट ने अपने प्रूफिंग टूल्स नाम के पैकेज में हिंदी शब्दकोश (थिसॉरस) और वर्तनी परीक्षक जैसी सुविधाएं प्रस्तुत की हैं। थिसॉरस से आप किसी शब्द के समानार्थी और विपरितार्थी शब्द सिर्फ एक क्लिक से देख सकते हैं। वर्तनी परीक्षक आपकी हिंदी में लिखे दस्तावेज या ई-मेल की वर्तनी जांचने में सहयोग करता है। हिंदी व्याकरण परीक्षण बनाने की दिशा में भी कई कंपनियां प्रयास कर रही हैं।

इसी तरह गूगल ने भी हिंदी में शब्दकोश की सुविधा पेश की है जहां आप अपनी कागजी डिक्शनरी को उठाने में लगने वाले समय से कम समय में किसी शब्द का हिंदी अर्थ पा सकते हैं। गूगल ने ही अंग्रेजी से हिंदी में मशीनी अनुवाद भी पेश किया है। भले ही यह बहुत अच्छा अनुवाद न करता हो, लेकिन आप अंग्रेजी के किसी पाठ को हिंदी में कुछ हद तक समझ सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी कंपनियां इस दिशा में कुछ और बेहतर करने की कोशिश में लगी हैं। विकिपीडिया जैसा ज्ञानकोश भी हिंदी हो गया है जिसे इंटरनेट पर किसी भी विषय की विस्तृत सूचना प्राप्त करने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। हिंदी में ५० हजार से अधिक आलेख आपको दुनिया के सभी प्रमुख विषयों पर विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

कई वेबसाइटें हिंदी के माध्यम से अंग्रेजी और अन्य भाषाएं सीखने की सुविधा दे रहीं हैं। ये न केवल निःशुल्क हैं बल्कि इंटरेक्टिव तरीकों से आपकी दिलचस्पी बढ़ती है और सीखना आसान बन जाता है। ई-कक्षा इस दिशा में एक नई अवधारणा है जो तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कम खर्च, अधिक जानकारी और आसान पहुंच के कारण कई शिक्षण संस्थान और पेशेवर कंपनियां इसे अपना रही हैं। ये सुविधाएं इंटरनेट और डीटीएच जैसे माध्यमों से प्रस्तुत की जा रही हैं। ई-पुस्तकालयों का उपयोग करके आप दुनियाभर की अच्छी से अच्छी पुस्तकें पढ़ सकते हैं।

इसके लिए न तो आपको कोई शुल्क देना है और न ही आपको पुस्तक खरीदना है। जन-जन तक शिक्षा का प्रकाश फैलाने और धन और समय की बचत करने में ये संसाधन अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं(जितेंद्र जायसवाल,नई दुनिया,दिल्ली,9.9.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।