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13 सितंबर 2010

गेम और हिंदी

हिन्दी के बढ़ते प्रभुत्व से भला कंप्यूटर गेमिंग की दुनिया कैसे अछूती रहती। चाहे वे कंप्यूटर में इंस्टॉल किए जा सकने वाले गेम हों, ऑनलाइन गेम हों, या गेमिंग कंसोल, हिन्दी ने गेम्स के पसंदीदा लोगों की दुनिया ही बदल दी है। कल्पनाओं की दुनिया में हाथ आजमाने के लिए अब अंग्रेजी बाध्यता नहीं रही।

सोनी ने अपने गेमिंग कंसोल प्ले स्टेशन में गेमिंग के शौकिन हिन्दी भाषियों के लिए देसी अड्डा नाम से विशेष गेम समूह पेश किया है। इसमें आप हनुमानजी के साहसिक कारनामों का रोचक अंदाज में आनंद ले सकते हैं। वह भी अपनी भाषा में। इसके अलावा कबड्डी, गिल्ली डंडा और पतंगबाजी जैसे खालिस देशी गेम भी आपको हिन्दी में खेलने को मिल जाएंगे। कंप्यूटर और मोबाइल गेम बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्‌स ने मोबाइल क्रिकेट, मेडल ऑफ ऑनर, हैरी पॉटर श्रृंखला, रॉबिनहुड आदि लोकप्रिय गेम हिन्दी में प्रस्तुत किए हैं। ग्राफिक्स की बेहतरीन गुणवत्ता के साथ-साथ हिंदी में इन विश्वस्तरीय गेम्स को खेलने का आनंद ही कुछ और है। इसी तरह एक अन्य ब्रांड गेमलोफ्ट ने पॉप सुपरस्टार जैसे अपने लोकप्रिय गेम हिन्दी बाजार में उतारे हैं। गेम्स में अंग्रेजी के बाजार में मांग समाप्त होने और हिन्दी बाजार की अपार संभावनाओं को देखते हुए लगभग सभी कंपनियां यहां अपनी किस्मत आजमाने में लगी हुई हैं।

वे लोग जो गेमिंग कंसोल या कंप्यूटर पर इंस्टॉल हो सकने वाले गेम खरीदने में रुचि नहीं रखते, उनके लिए गेम्स का बेहतरीन रोमांच सीधे इंटरनेट पर भी हिन्दी में उपलब्ध है। ट्रैवियन जैसे लोकप्रिय गेम अब हिन्दी में भी उपलब्ध हैं। वेबदुनिया के हिन्दी पोर्टल पर भी आप कई ऑनलाइन हिन्दी गेम्स का मजा ले सकते हैं। ऑनलाइन गेम्स का बाजार इस समय १० अरब डॉलर के लगभग है। जिसमें हिन्दी यूजरों का लगभग अनछुआ बाजार शामिल नहीं है। उद्योग विशेषज्ञ २०१२ तक इस बाजार के १५ अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं। यदि वे अधिक से अधिक हिन्दी यूजरों को इसमें जोड़ने में सफल हो जाएं, जो दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, तो ये आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं(जितेन्द्र जायसवाल,नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,१२.९.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. विज्ञान की चरम उन्‍नति से हिंदी को भी नए आयाम मिले हैं। वर्तमान युग आई. टी. युग है। और सूचना प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में भारत दुनिया भर में अपनी धाक मनवा चुका है। विज्ञान की इस शाखा में पूरा विश्‍व भारतीय मस्तिस्‍क का कायल है। दूसरी बात कि सूचना प्रोद्यौगिकी के विकास ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरो दिया है।

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    शैशव, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की कविता पढिए!

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