यूपी में,हाई स्कूल के पाठ्यक्रम की सामाजिक विज्ञान की किताब में अहमदिया फिरके की तारीफ पर बवाल शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल के पाठ्यक्रम की सामाजिक विज्ञान की किताब में "अहमदिया आंदोलन" के नाम से एक अध्याय शामिल किया गया है। इस किताब के बाजार में आने के बाद से मुसलमानों में बवाल मचा हुआ है। लेकिन प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र को इस विवाद की जानकारी तक नहीं है।
अहमदिया वही लोग हैं जिन्हें पाकिस्तान में जब-तब मार दिया जाता है और इनकी मस्जिदों को जला दिया जाता है। दिल्ली में बत्रा अस्पताल के पास इनका मुख्य मजहबी केंद्र है। कादियान पंजाब के गुरुदासपुर जिले का एक इलाका है। महाराजा रंजीत सिंह ने गुलाम अहमद कादियानी के पिता मिर्जा गुलाम मुर्तजा को पांच गांव दिए थे। १८८९ में गुलाम अहमद कादियानी ने अहमदिया आंदोलन का ऐलान कर दिया। इन्होंने इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से अपने आप को चौदहवीं सदी का मुजद्दिद (मजहबी सुधारक) घोषित किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने आपको इमाम मेहदी साबित करने की कोशिश की जिनके बारे में मान्यता है कि वह एक दिन प्रकट होंगे। ये लोग पैगंबर मोहम्मद को आखरी पैगंबर भी नहीं मानते। भारत में इनको एक अदालती फैसले के तहत मुसलमान माना गया है लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इनको अपने में शामिल नहीं किया है।
इलाहाबाद के राजीव प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब में गुलाम मोहम्मद कादियानी को मुस्लिम बताया गया है। इसमें अहमदिया आंदोलन के तहत लिखा गया है कि इस आंदोलन के बाद भारत के मुसलमानों में सामाजिक और राजनतिक जागरूकता पैदा हुई(नई दुनिया,दिल्ली,3.9.2010) ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।