मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए रूरल सेक्टर में काम करने वाले डॉक्टर्स के लिए आरक्षित 60 फीसदी सीटों का कोटा अब मोहाली, लुधियाना या किसी अन्य बड़े शहर या जिले में काम करने वालों को नहीं मिलेगा।
गांवों की डिस्पेंसरी या रूरल सेक्टर के सब सेंटर्स में काम करवाने के लिए सरकार ने यह सुविधा दी थी जिसमें नगरपालिका की सीमा से 15 किलोमीटर दूर तीन साल तक काम करने पर डॉक्टर्स को पीजी में 60 फीसदी सीटें मिल जाती थीं, लेकिन ज्यादातर डॉक्टर्स केवल बड़े शहरों के आसपास के इलाकों में काम करके ही यह सीटें प्राप्त कर लेते हैं।
पीजी करने वालों को वेतन भी सरकार देती है। इतनी सुविधा मिलने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय और हरियाणा के साथ लगने वाली सीमा वाले गांवों व कस्बों को इसका फायदा नहीं मिलता था, लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्री प्रो. लक्ष्मी कांता चावला के निजी हस्तक्षेप के बाद इस नीति में बदलाव कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने अब ग्रामीण की बजाए मुश्किल और बेहद मुश्किलों भरे इलाके निश्चित किए हैं। इसके अलावा एक वर्ग नॉर्मल क्षेत्र का होगा। नॉर्मल क्षेत्र में काम करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा। इस कैटेगिरी में जिला मुख्यालय, नगर निगम के इलाके शामिल होंगे।
जबकि मुश्किल क्षेत्र मंे तीन साल काम करने वालों को पीजी में आरक्षण मिलेगा जबकि तीन साल से ज्यादा करने वालों को हर अतिरिक्त साल का एक अंक दिया जाएगा और अधिकतम पांच तक होंगे। ये इलाके जिला मुख्यालयों से निश्चित दूरी पर होंगे।
ज्यादा मुश्किल इलाकों में पाकिस्तान की सीमा के साथ लगने वाले और मानसा आदि के वे इलाके होंगे जो हरियाणा की सीमा के साथ लगते हैं। इनमें दो साल सेवा करने वालों को पीजी कोटा मिलेगा जबकि अतिरिक्त सेवा करने वालों को हर अतिरिक्तत साल का डेढ़ नंबर दिया जाएगा। यह नंबर भी अधिकतम पांच होंगे। स्वास्थ्य मंत्री चावला ने बताया कि नई नीति एक नवंबर 2010 से लागू मानी जाएगी(इन्द्रप्रीत सिंह,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,15.9.2010)।
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