शिक्षा विभाग में पिछले दिनों हुए तबादलों में अधिकारियों ने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक में रख दिया। ऐसे ही एक मामले में विभाग के अधिकारियों ने उर्दू के एक वरिष्ठ अध्यापक सैयद सादिक अली को जयपुर शहर में पदस्थापित करने के लिए उसे सामान्य अध्यापक बता दिया।
अली की उर्दू के वरिष्ठ अध्यापक पद पर नियुक्ति हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई थी और उसे रा.उ.मा.वि. बहादुरपुर अलवर में नियुक्ति दी गई थी। अब अली को जयपुर शहर में लाने के लिए अधिकारियों ने सामान्य शिक्षक बना दिया और उसका तबादला इसी महीने बहादुरपुर से रा.मा.वि. लक्ष्मणडूंगरी, जयपुर में कर दिया गया। तबादला आदेशों में अली का विषय सामान्य दर्शाया गया है। लक्ष्मणडूंगरी के इस स्कूल में उर्दू शिक्षक का कोई पद नहीं है। इसके बावजूद विषय बदलकर इस प्रकार पिछले दरवाजे से शिक्षकों को शहर में लाने पर शिक्षक संगठनों ने आक्रोश व्यक्त किया है।
अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि सामान्य अध्यापक का चोला पहनकर जो विषय अध्यापक शहर में आए हैं, इससे समानीकरण पर पानी फिर गया है। ऐसे सभी मामलों की जांच होनी चाहिए(विनोद मित्तल,दैनिक भास्कर,जयपुर,15.9.2010)।
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