डिग्री दिलाने के नाम पर नकलमाफियाओं के एक और बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। बोर्ड के कुछ नियमों कमजोरी का लाभ लेकर नकलमाफियाओं ने एक लाख आठ हजार ऐसे युवकों को हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल कराकर उन्हें डिग्री दिला दी जो आठवीं भी पास नहीं हैं। हरियाणा, राजस्थान, बिहार के इन युवकों में से ज्यादातर आठवीं फेल हैं और ने तो पांचवीं तक की ही शिक्षा प्राप्त की है। जांच के पहले चरण में उत्तर प्रदेश के भी ११ हजार ५०० ऐसे युवक चिह्नित किए गए हैं जिन्हें आठवीं की फर्जी मार्कशीट के आधार पर हाईस्कूल की डिग्री मिल गई।
इन युवकों को यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में शामिल कराने के लिए नकलमाफियाओं ने फर्जी अंकपत्रों का सहारा लिया। हाईस्कूल परीक्षा के लिए आठवीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट तैयार की, नौवीं में उसी के आधार पर फर्जी पंजीकरण कराया और दसवीं में परीक्षा दिला दी। आठवीं की मार्कशीट की पड़ताल का कोई सिस्टम नहीं था, इसलिए किसी स्तर पर सवाल जवाब नहीं हुए। नकलमाफियाओं ने जिला स्तरीय अधिकारियों-बाबुओं से मिलकर केंद्र ऐसी जगह रखवाया जहां नकल करने में परेशानी न हो। परीक्षा के दौरान जांच के लिए शासन की ओर से बनाई गई वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने पहले चरण में गड़बड़ी पकड़ी। टीम को प्रदेश के कई बदनाम जिलों में बड़ी संख्या में ऐसे छात्र मिले जो अपना नाम नहीं लिख पा रहे थे और रोलनंबर, पता, स्कूल का नाम नहीं बता पा रहे थे। ज्यादातर युवक दूसरे प्रदेशों के निकले। कुछ युवक उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों के भी मिले जिन्होंने पांचवीं-छठीं कक्षा में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।
अधिकारियों ने शासन को रिपोर्ट दी कि अनपढ़ युवकों को हाईस्कूल परीक्षा में शामिल कराया गया। रिपोर्ट में जिन रोलनंबर वाले परीक्षार्थियों को लेकर आशंका जताई गई थी, उनके पंजीकरण फॉर्म निकालकर, मार्कशीट में दर्ज शिक्षा परिषदों से कागजात के सत्यापन का आग्रह किया गया। सचिव माध्यमिक शिक्षा ने देश भर के शिक्षा परिषदों की नियंत्रक संस्था काउंसिल ऑफ बोर्ड्स ऑफ स्कूल एजुकेशन (कॉब्से) से इस बारे में सहायता मांगी। कॉब्से ने अपर निदेशक स्तर के अधिकारी उप समन्वयक एमके प्रसाद को जांच का जिम्मा सौंपा था। उनके साथ कॉब्से के दो और माध्यमिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के पांच अधिकारी लगाए गए।
विभाग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक तीन लाख ८५ हजार छात्रों के बारे में जानकारी मांगी गई थी जिसमें से एक लाख ७० हजार की रिपोर्ट शासन को मिल गई है। इसमें एक लाख आठ हजार युवकों को संबंधित शिक्षा परिषदों ने अपना पंजीकृत छात्र मानने से इंकार किया है। उनकी आठवीं की मार्कशीट को फर्जी बताया है। जांच प्रभारी एमके प्रसाद ने बेसिक शिक्षा परिषद से भी कुछ जानकारियां ली हैं। उन्होंने बताया कि आठवीं का फर्जी अंकपत्र लगाने वाले एक लाख आठ हजार युवकों के बारे में टिप्पणी सरकार को दे दी गई है। उनका नौवीं, दसवीं का अभ्यर्थन निरस्त हो सकता है। आगे की कार्रवाई शासन को करनी है(अमर उजाला,इलाहाबाद,20.9.2010)।
वाकई शर्मनाक !! क्या कर लेंगे ये देश के सपूत ऐसी डिग्री ले कर के. ये तो वो बात हुई की गाड़ी चलानी आती नहीं पर ड्राईविंग लाइसेंस बनवा लिया, जैसे की लाइसेंस से गाड़ी खुद ब खुद चल जायेगी.
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