गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्र्वविद्यालय में साल दर साल फर्जी छात्रों के मामले में इजाफा होता जा रहा है। इसे लेकर न आईपी प्रशासन गंभीर है और न विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली दिल्ली सरकार। आईपी में फर्जी छात्रों की संख्या इस साल रिकार्ड बना रही है। हालांकि, अधिकारिक तौर पर अब तक बीटेक और अन्य काउंसलिंग में फर्जी छात्रों के सौ मामले सामने आए हैं। पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो फर्जी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्वविद्यालय में चर्चा हो रही है कि वर्ष 2003 में गठित समिति अपना काम करती तो फर्जी छात्रों के इतने मामले सामने नहीं आते। आईपी में फर्जी छात्रों की जांच के लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर वर्ष 2003 में तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रो. नलिन के. शास्त्री ने समिति गठित की और आईपी में दाखिला ले चुके छात्रों के प्रमाणपत्र व शैक्षणिक रिकार्ड की जांच करने को कहा गया था। समिति से ऐसे मामले को रोकने के लिए सुझाव भी मांगा गया था। जांच समिति का अध्यक्ष प्रो. नितिन मलिक को बनाया गया था, जबकि प्रो. मलिक पहले ही दैनिक जागरण को बता चुके हैं कि वह न किसी समिति के अध्यक्ष बने थे और न उनकी जानकारी में ऐसी समिति बनी थी। इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रो. नलिन के. शास्त्री, जो अभी बिहार के मगध विश्वविद्यालय में बॉटनी के प्रोफेसर हैं, ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्होंने ही मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रो. नितिन मलिक की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। वर्ष 2003 में बीएड कोर्स में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। इसके बाद समिति बनाकर उसे कहा गया था कि वे इस फर्जीवाड़े की जांच करे और ऐसे मामले रोकने के लिए सुझाव दे। अफसोस की बात यह है कि बार-बार कहने के बाद भी समिति ने अपना काम नहीं किया और न ही कोई रिपोर्ट ही जमा किया। उनके बार-बार कहने के बाद भी समिति ने काम नहीं किया क्योंकि तत्कालीन कुलपति प्रो. केके अग्रवाल ने समिति में कोई रुचि नहीं ली(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.9.2010)।
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