प्रदेश के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) में आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्साधिकारियों के 137 पदों पर आरक्षित श्रेणी की बैकलॉग भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस भर्ती के विरुद्ध दायर याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेदिक एवं यूनानी डॉक्टरों के 1678 पदों में से पचास प्रतिशत से भी अधिक (840 पद) पर सामान्य श्रेणी के चिकित्सक संविदा पर कार्य कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में शेष पदों पर बैकलॉग से नियुक्ति करना न तो असंवैधानिक है और न विभेदकारी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी एवं न्यायमूर्ति केएन पाण्डेय की खण्डपीठ ने डॉ. नीरज शुक्ल व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। खण्डपीठ ने कहा कि स्वास्थ्य, नागरिकों का मूलभूत अधिकार है और समाज के व्यापक हित में है। ऐसे में गाँवों में डाक्टरों की नियुक्ति की जानी चाहिए। याचिकाओं के तथ्यों के अनुसार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने दो अक्तूबर 2009 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए 137 आयुर्वेदिक एवं यूनानी डॉक्टरों की बैकलॉग भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया था। इसमें आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। याचियों का आरोप था कि इन पदों को पहले कभी विज्ञापित नहीं किया गया था। पहली बार पद विज्ञापित होने के आधार पर इन पदों को बैकलॉग नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार के अधिवक्ता का तर्क था कि कुल पदों के आधे से अधिक पर सामान्य वर्ग के डॉक्टर कार्यरत हैं। साथ ही इन चिकित्सकों के मामले में कोर्ट का अंतरिम आदेश के कारण इन पदों पर नियुक्ति नहीं की जा सकती। इस पर न्यायालय ने याचिकाएं खारिज कर दीं(हिंदुस्तान लाइव डॉट कॉम,इलाहाबाद,8.9.2010)।
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09 सितंबर 2010
यूपीःआयुर्वेदिक-यूनानी डॉक्टरों की बैकलॉग भर्ती का रास्ता साफ
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