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15 सितंबर 2010

बिहारःजॉब कार्ड सवा करोड़, रोजगार १८ लाख को

इस बार भी सूबे में मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराने योजना धीमी गति की शिकार है । सूबे में पांच महीनों में सवा करो़ड़ जाब कार्ड बनाए गए लेकिन इनमें से सिर्फ १८ लाख गरीबों को ही रोजगार मिल पाया । रोजगार पाने वाले लोगों में उन खुशनसीबों की संख्या बी कम है जिन्हें सौ दिनों का रोजगार नसीब हो सका । महज सैंतीस हजार लोगों को सौ दिन का काम मिल पाया है । केंद्र सरकार द्वारा राशि आवंटित करने की रफ्तार भी धीमी रही है । केंद्र ने इस दौरान केवल ११५ करो़ड़ रुपए जारी किए। बैंकों और डाकघरों के जरिए भुगतान की योजना भी सिरे नहीं च़ढ़ पाई है । अब भी डाकघरों में एकाउंट खोलने के लिए २३ लाख १९८ आवेदन लंबित हैं ।

पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र ने मात्र ३२ फीसदी राशि ही दी थी । इसमें ७६ फीसदी राशि खर्च की गई। पिछले वित्तीय वर्ष में १ करो़ड़ २४ लाख ६ हजार ५१८ व्यक्तियों को जाबकार्ड दिए गए । ४१ लाख ३१ हजार ४५० लोगों ने रोजगार की मांग की जिसमें ४१ लाख २७ हजार ३११ लोगों को रोजगार मुहैया कराया गया था । बिहार में पहले भी इस महात्वाकांक्षी योजना का परिणाम निराशाजनक ही रहा है । गरीबों को सौ दिनों का रोजगार देने के लक्ष्‌य के विपरीत कई इलाकों में दस दिन का औसत रोजगार भी नहीं दिया जा सका । प्रदेश में सवा करो़ड़ मजदूरों के कार्ड बने लेकिन इनमें से ८० लाख लोगों को रोजगार नहीं मिला । योजना पर प्रदेश और केंद्र सरकार में तकरार भी चलती रही है ।

इस साल के लिए प्रदेश को नरेगा के तहत ४८४४ करो़ड़ रुपए मंजूर किए गए हैं लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी अबतक सिर्फ ११५ करो़ड़ की ही किस्त जारी हुई है । मार्च में समाप्त हुए वित्तीय साल में प्रदेश को इस योजना के लिए २३९६ करो़ड़ मिले थे जिसमें से १८१७ करो़ड़ रुपए खर्च किए जा सके । प्रदेश के पास इस मद में सिर्फ ५७८ करो़ड़ रुपए बचे पहले बचे हैं । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूखे के मद्देनजर मनरेगा की कुल राशि के एकमुश्त आवंटन की मांग रखी थी लेकिन केंद्र ने इसे अनसुना कर दिया ।

मनरेगा में अनियमितताओं की शिकायतें आम रही हैं । इसलिए बैंकों द्वारा भुगतान का फैसला लिया गया था । अबतक बैंकों में १७ लाख ६२ हजार व्यक्तिगत एकाउंट खुले हैं और ९५ हजार संयुक्त एकाउंट खुल पाए । बैंक एकाउंट से सिर्फ ६ हजार रुपए मजदूरी के रूप में भुगतान किए गए । डाकघरों में ७३ लाख व्यक्तिगत और एक लाख ८८ हजार संयुक्त एकाउंट खोले गए लेकिन डाकघरों से सिर्फ ४२ हजार रुपए का ही भुगतान हो पाया । बैंकों और डाकघरों को मिलाकार सूबे में अबतक ९३ लाख ४७ हजार एकाउंट खोले जा चुके हैं लेकिन अबतक इस माध्यम से सिर्फ ४८ हजार ७१९ रुपए का ही भुगतान हुआ है । जाहिर है ब़ड़ी राशि का अबतक नकद भुगतान हो रहा है जिसके कारण घोटालों को ब़ढ़ावा मिलता है । इस योजना में पांच महीनों में सिर्फ ५ हजार ७७५ विकलांगों को ही रोजगार दिया जा सका ।

भूमि सुधार में ७१ हजार ६०७ लोगों को रोजगार दिए जा सके हैं । कुल ५३६.२३७ मानव दिवस सृजित हुए जिसमें महिला मानव दिवस मात्र १६० रहा । प्रदेश में ५३ लाख दलितों, २८ लाख आदिवासियों के जाब कार्ड बने लेकिन दलितों के सिर्फ २५५ मानव दिवस सृजित हो सके(राघवेन्द्र नारायण मिश्र,नई दुनिया,दिल्ली,14.9.2010)।

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