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15 सितंबर 2010

स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में कॅरिअर

स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का क्षेत्र बहुत विस्तृत है अर्थात इसमें विकास की भरपूर संभावनाएं हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे जुड़े प्रोफेशनल खेल को जानते तो हैं लेकिन खिलाड़ी नहीं हैं। ऐसे लोग खेलते तो नहीं हैं, लेकिन खेल से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों तथा मुनाफे में इनकी अहम भूमिका होती है। आज हर खेल और उसके खिलाड़ी दर्शकों की पसंद बनते जा रहे हैं। खेल-खिलाड़ियों की दुनिया में इतनी रंगीनी, लोगों की इतनी दीवानगी अचानक कैसे उत्पन्न हो गई तो इसका जवाब है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट। इस दीवानगी से दर्शकों को चाहे जो मिले, आयोजकों को मोटी आमदनी जरूर हो जाती है। खेल के साथ आर्थिक लाभ को जोड़ने में कुशल मैनेजरों की भूमिका अहम है और यही कारण है कि स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का क्षेत्र वर्तमान में एक आकर्षक कॅरिअर के रूप में उभरा है।

स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का क्षेत्र बहुत फैला हुआ है अर्थात इसमें विकास की उजली संभावनाएं विद्यमान हैं। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की बात करें तो इसमें स्पोर्ट्स गुड्स प्रमोशन, ब्रांड इंडोर्समेंट, ग्राउंड अरेंजमेंट, सेलेब्रिटी मैनेजमेंट, फैशन गैजेट प्रमोशन, स्पोर्ट्स टूरिजम जैसी कई विशेषज्ञता युक्त फील्ड आती हैं। इन सभी में कहीं न कहीं एक अच्छा मैनेजर ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ कमाने का प्रयास करता है और यही उसकी विशेषज्ञता की असली पहचान होती है। अर्थात खिलाड़ी अपना खेल खेलता है, लेकिन उसके माध्यम से होने वाली कमाई का खेल और उसका प्रबंधन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कहलाता है।

खिलाड़ी के पहनने-ओढ़ने, खाने-पीने के प्रमोशन तक से अकूत धन कमाया जा सकता है। आज के दौर में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की बढ़ी उपयोगिता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सचिन तेंडुलकर की १० नंबर की जर्सी जिसकी उत्पादन लागत केवल १०० रुपए ही क्यों न हो सचिन के फैन उसे ५०० रुपए में भी हाथों हाथ खरीदने को तैयार रहते हैं। खेल के प्रति बढ़ी यही दीवानगी है, जिसके लिए आम आदमी की जेब से पैसा निकलते देर नहीं लगती और इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए ही स्पोर्ट्‌स मैनेजमेंट एक्सपर्ट जुटे रहते हैं।

चूंकि आज खेल का सीधा संबंध आर्थिक लाभ से जुड़ गया है, इसलिए स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का अर्थ है एक आयोजन का इस तरह से मैनेजमेंट करना, जिससे कि यादगार आयोजन के साथ-साथ अधिकतम आर्थिक लाभ कमाया जा सके। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का कोर्स करने के इच्छुक छात्रों के लिए पहली अनिवार्य योग्यता है खेल और उससे जुड़े तमाम पहलुओं से जुड़ा होना। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के बैचलर डिग्री कोर्स के लिए बारहवीं उत्तीर्ण छात्रों का मैरिट के आधार पर चयन होता है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री व डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए कम से कम स्नातक होना जरूरी है। इसी प्रकार स्पोर्ट्स मार्केटिंग एवं इकोनॉमिक्स जैसे सर्टिफिकेट कोर्स के लिए बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की बात करें तो किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह इस क्षेत्र में भी भरपूर अवसर मौजूद हैं। चाहे आप मार्केटिंग में काम करें या प्रबंधन में। आपकी रुचि ब्रांड प्रमोशन में है तो ब्रांडिग से जुड़ जाएं और यदि ईवेंट मैनेजमेंट में है तो स्पोर्ट्‌स ईवेंट मैनेजर बन जाएं। इसके अलावा एडवरटाइजमेंट से लेकर खिलाड़ियों के एंडोर्समेंट तक के सभी काम स्पोर्ट्स मैनेजमेंट फील्ड के एक्सपर्ट ही करते हैं। मनोरंजन के माध्यम के तौर पर प्रसिद्ध हुआ खेल आज मार्केट से सीधा जा जुड़ा है।


कहां से करे कोर्स

*इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, दिल्ली विश्वविद्यालय, विकासपुरी, नई दिल्ली।

*श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, नई दिल्ली।

*अलगप्पा यूनिवर्सिटी, कराई कुडी, तमिलनाडु।
(जयंतीलाल भंडारी,नई दुनिया,दिल्ली,13.9.2010)

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