उत्तराखंड में सेवानिवृत्ति के करीब खड़े नौकरशाहों ने मलाईदार पदों पर काबिज होने का एक नया तरीका निकाला है। इसके तहत, उन्होंने रिटायर होने के चंद दिन या महीने पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली। इसके तत्काल बाद ही नए पद पर जा बैठे। इससे सरकारी गाड़ी और बंगले समेत अन्य सुविधाएं तो बहाल हैं ही, वेतन भी पेंशन से खासा ज्यादा मिल रहा है। अब तक राज्य के चार मुख्य सचिवों ने इसी तरीके से पद हासिल किया है। डा.आरएस टोलिया इस समय मुख्य सूचना आयुक्त हैं तो एसके दास लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष है। इंदु कुमार पांडे राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष हैं। एनएस नपलच्याल ने तो पहले छह माह का सेवा विस्तार हासिल किया। अवधि खत्म होने से डेढ़ माह पहले वीआरएस लिया और राज्य निर्वाचन आयोग में मुख्य सलाहकार बन बैठे। माना जा रहा है कि एक नवंबर को इनका ओहदा फिर से बदलेगा। हाल में ही शिक्षा निदेशक पद से रिटायर हुईं पुष्पा मानस अब सरकार की शिक्षा सलाहकार है।इससे पहले आईएएस विपिन चंदोला राज्य निर्वाचन अधिकारी बने। डा. आईएस पाल लंबे समय से स्वास्थ्य सलाहकार का ओहदा संभाले हैं। अपर सचिव (वित्त) रहे एनएन थपलियाल वित्त सलाहकार और टीएन सिंह लोक सेवा आयोग में सदस्य का का पद पा चुके हैं तो। कई अन्य अफसर मूल पद से रिटायर होकर नया ओहदा हासिल कर चुके हैं(अतुल बरतरिया,दैनिक जागरण,देहरादून,14.9.2010)।
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