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14 सितंबर 2010

ई-लर्निंग ने दिया शिक्षा को नया रूप

एनकंप्यूटिंग द्वारा लगाए गए वर्च्युअल डेस्कटॉप पर काम करते स्कूली छात्र। एनकंप्यूटिंग समेत कई कंपनियां भारत में लोगों के बीच न सिर्फ ई-लर्निंग को फैला रही हैं, बल्कि लोगों को कम कीमत में अपने उद्योग और अन्य एजेंसियों को अपनी वृद्धि दर बढ़ाने का सस्ता तरीका भी बता रही हैं। इससे लोगों की कार्य दक्षता बढ़ने के साथ-साथ लोगों को रोजगार मिलने और नौकरी के दौरान प्रोमोशन हासिल करने का आसान रास्ता मिल गया है।पश्चिमी देशों में ई-लर्निंग की सफलताओं को देखते हुए भारत में भी इसे बड़े पैमाने पर इसे अपनाना शुरू किया है। इसके अलावा आईटी जगत में कंप्यूटर को और कंप्यूटर के जरिए लोगों को शिक्षित करने का काम भी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियां एवं कंपनियां कर रही हैं। ई-लर्निंग यानी शिक्षा देने का इलेक्ट्रॉनिक तरीका। निजी और सरकारी स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्रों में ई-लर्निंग का इस्तेमाल सरकार और निजी कंपनियों के जरिए किया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या शिक्षित हो सके साथ ही रोजगार पाने में सक्षम बन सके। आज ई-गवर्नेस क्लासरूम और ई-ट्यूटोरियल के जरिए गंभीर शैक्षिक पद्धति का चित्र पेश किया जा रहा है। ई-लर्निंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह एक ऐसी पुस्तक जो सीखने वाले की गति के मुताबिक उसे सभी विषयों का ज्ञान देती है। एक ही विषय को तब तक दोहराया जा सकता है जब तक प्रशिक्षु (ट्रेनी) उसे समझ न जाए। अब ऐसा नहीं होगा कि गणित का कोई सवाल यदि गलत हुआ तो अध्यापक आपको मारेगा, या फिर क्लास में देर से आने पर क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दिया जाएगा। ई-लर्निंग इतना लचीला है कि आज ज्यादा से ज्यादा प्रोफेशन इसे अपना रहे हैं। इससे लोगों को रोजगार बाजार में प्रोमोशन मिलने में काफी मदद मिल रही है। यानी देश में ऐसे भी क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि नई संभावनाओं का सजृन हो सके।

आज कई कंपनियां ऑनलाइन एजूकेशन को वर्च्युअल डेस्कटॉप (एक सीपीयू से कई कंप्यूटरों को एक साथ चलाने की तकनीक) को निजी एवं सरकारी लैब, आईटी इंस्टिट्यूट, ग्रामीण क्षेत्रों में लगाकर लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी के अलावा अन्य विषयों को पढ़ाने का काम कर रही हैं। इसमें एक कंपनी है "एनकंप्यूटिंग"। एनकंप्यूटिंग वर्च्युअल डेस्कटॉप के हाडवेयर एवं सॉफ्टवेयर निर्माता हैं। एनकंप्यूटिंग वर्च्युअल डेस्कटॉप बाजार में तेजी से बढ़ती एक कंपनी है जिसके २ करोड़ ५० लाख उपकरण (डिवाइस) १५० से ज्यादा देशों में इस्तेमाल हो रहे हैं। एनकंप्यूटिंग ने बताया कि वर्च्युअल डेस्कटॉप की खास बात यह है कि यह एक समय पर कई लोगे एक ही डिवाइस के जरिए एक वक्त पर कई कंप्यूटरों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा एनकंप्यूटिंग वर्च्युअल डेस्कटॉप कंप्यूटर की कीमत तथा हाडवेयर की कीमत को ७५ फीसदी कम कर देती है। साथ ही इसे चलाने में केवल एक वॉट की बिजली का इस्मेताल होता है यानी ९० फीसदी बिजली की बचत। साफ जाहिर है कि यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इतने लोगों को शिक्षित एवं रोजगार करने के योग्य बनाने में कामयाब होगी। पिछले तीन सालों में भारत में १८,००० स्कूलों में एनकंप्यूटिंग वर्च्युअल डेस्कटॉप का इस्तेमाल कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा दिए जाने के मकसद से किया जा रहा। पिछले दिनों कंपनी ने महाराष्ट्र नॉलेज कॉर्पोरेश टू कंप्यूटराइजेशन (एमकेसीएल) के साथ भागीदार बन १००० सेंटर खोले हैं। यह नेटवर्क विश्वस्तरीय आईटी कौशल और साक्षरता प्रदान करेगा।

एनकंप्यूटिंग विप्रो इन्फोटेक के साथ भागीदारी की है। विप्रो के अलावा एनकंप्यूटिंग देश भर में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के ऑफिस एवं क्लीनिक में ३१,००० वर्च्युअल डेस्कटॉप लगाएगी, ताकि कर्मचारियों के आईटी कौशल को और निखारा जा सके, साथ ही उनमें नई संभावनाओं को तलाशा जा सके। इतना ही नहीं, स्कूलों में सस्ते कंप्यूटरों को उपलब्ध कराने के लिए अमेरिकी कंपनी एनकंप्यूटिंग ने एनआईआईटी के साथ रणनीतिक गठबंधन किया है। भारत सरकार ने भी सूचना और सूचना प्रौद्योगिक (आईसीटी) के जरिए शिक्षा देने के मकसद से राष्ट्रीय मिशन की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के लिए ११वीं पंचवर्षीय योजना के तहत ४,६१२ करोड़ रुपए का फंड दिया गया है। कई संस्थानों खासकर निजी संस्थानों ने ऑनलाइन दूरस्थ शिक्षा की शुरुआत की है। एनआईआईटी ३३ देशों में ५ लाख विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ा रही है। बहुत सारी कंपनियां भारत में डिग्री, वोकेश्नल और सर्टिफिकेट कार्यक्रम चला रही हैं, ताकि लोग अपनी नौकरी के साथ-साथ कार्य दक्षता को बढ़ा सकें। मूल्य के हिसाब से ई-लर्निंग के कारोबार को देखा जाए तो फिलहाल भारत में ई-लर्निंग का बाजार ४० करोड़ डॉलर का है, जो २०१२ तक ३ अरब ७५ करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा सरकारी और निजी स्कूलों में मल्टीमीडिया और आईटीसी बाजार की बात कि जाए तो वर्तमान में निजी स्कूलों में ९ करोड़ डॉलर और सरकारी स्कूलों में ७ करोड़ डॉलर का कुल बाजार है। २०१२ तक यह आंकड़ा क्रमशः ७० करोड़ डॉलर तथा ५० करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।

मुख्य बिंदुः
  • ९,५०,००० सरकारी और ५०,००० निजी स्कूलों में ई-लर्निंग की शुरुआत हो चुकी है।
  • २०१२ तक ई-लर्निंग का कुल कारोबार भारत में करीब ३ अरब ७५ करोड़ डॉलर तक पहुंचने की संभावना
  • एनकंप्यूटिंग कंपनी ने देश के कई राज्यों में वर्च्यूअल डेस्टॉप की सुविधा उपलब्ध कराई।
  • एक साल में एनकंप्यूटिंग ने १ लाख से अधिक किट बेचे।
  • ५००० और स्कूलों में सस्ती आईटी शिक्षा देने के लिए अपनी डिवाइस देने का लक्ष्य एनकंप्यूटिंग ने बनाया।(आशुतोष वर्मा,नई दुनिया,दिल्ली,13.9.2010)

1 टिप्पणी:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति

    भाषा का सवाल सत्ता के साथ बदलता है.अंग्रेज़ी के साथ सत्ता की मौजूदगी हमेशा से रही है. उसे सुनाई ही अंग्रेज़ी पड़ती है और सत्ता चलाने के लिए उसे ज़रुरत भी अंग्रेज़ी की ही पड़ती है

    एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-
    (प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.html

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