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16 सितंबर 2010

सोनिया करेंगी समान अवसर आयोग पर फैसला

समाज के किसी भी वंचित समूह को पढ़ाई व नौकरी में उनका हक दिलाने के लिए प्रस्तावित समान अवसर आयोग के गठन पर सरकार के भीतर उभरे मतभेदों के बाद अब इसका फैसला सोनिया गांधी की अगुआई में बनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) में होगा। आयोग के कार्यक्षेत्र को लेकर संबंधित मंत्रालयों के बीच खींचतान के चलते मंत्रियों के समूह ने इस आयोग को सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही बनाने की हरी झंडी तो दे दी, लेकिन अब खुद सरकार को ही मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप का डर सता रहा है। किसी भी जाति, धर्म से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गो के वंचित समूहों को पढ़ाई व नौकरी में हक दिलाने के लिए प्रस्तावित इस आयोग के गठन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय व श्रम मंत्रालय ने अड़ंगा डाल दिया। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को यह पच नहीं रहा है। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अध्यक्षता में इस आयोग के लिए गठित मंत्रियों के समूह में इन्हीं मंत्रालयों के मंत्री शामिल थे। मंत्री समूह की तीन बैठकें हुई। अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सलमान खुर्शीद ने हर बैठक में इस आयोग को सभी वंचित समूहों के लिए बनाने की पैरवी की, लेकिन इन मंत्रियों के आगे उनकी नहीं चली। अंतत: इसे सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही बनाने की हरी झंडी मिली। इस मामले में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद नजरिया बिल्कुल अलग है। उसका मानना है कि अल्पसंख्यकों में 70 प्रतिशत आबादी तो मुसलमानों की ही है। ऐसे में सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए समान अवसर आयोग बनाने से सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लग सकता है। जिन हिंदुत्ववादी ताकतों की धार कुंद पड़ चुकी है, उन्हें इससे आग भड़काने का नया ईधन मिल जाएगा। संप्रग सरकार लगातार दलितों, वंचितों, मुस्लिमों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं व विकलांगों को साथ लेकर सभी के समावेशी विकास की बात करती है। इससे उस पर भी सवाल उठेंगे। दुनिया के दूसरे देशों में भारत के मुकाबले कम भेदभाव पर भी समान अवसर के लिए अलग-अलग फोरम हैं। जबकि यहां सिर्फ अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए अलग से कानून है, जो सिर्फ उन पर अत्याचार को रोकने तक सीमित है। बाकी वर्गो के समान हक के लिए अलग से न कोई कानून है लिहाजा, सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए आयोग बनाने का कोई औचित्य नहीं है। एनएसी ने इन्हीं तर्को के साथ इस आयोग पर विभिन्न मंत्रालयों की राय व मंत्री समूह की रिपोर्ट को तलब कर लिया है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,16.9.2010)।

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