बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि यूनियन के आंतरिक कामकाज के बारे में किसी कर्मचारी की शिकायत पर उसकी सेवानिवृत्ति के बाद भी मामला जारी रह सकता है। जस्टिस डी.के. देशमुख और आर. सुंदरबालदत्ता की पीठ ने पिछले हफ्ते बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों की एक यूनियन द्वारा दाखिल याचिका खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के सेवानिवृत्त हो जाने के बावजूद औद्योगिक अदालत के समक्ष चल रहे मामले पर रोक नहीं लगाई जा सकती। बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) के कर्मचारी रमेश धामनकर ने वर्ष 2006 में ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के समक्ष बीओआई ऑफीसर्स एसोसिएशन के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने यूनियन के पदाधिकारियों पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। धामनकर तब यूनियन के सदस्य थे। धामनकर की शिकायत पर रजिस्ट्रार ने ट्रेड यूनियन एक्ट-1926 के तहत मुंबई की औद्योगिक अदालत में मामला चलाने की इजाजत दे दी। जुलाई 2007 में धामनकर के सेवानिवृत्त होने पर यूनियन की उनकी सदस्यता भी खत्म हो गई। इसके बाद यूनियन ने मामला खारिज कराने के लिए औद्योगिक अदालत में अर्जी दी। यूनियन ने दलील दी कि धामनकर यूनियन के सदस्य नहीं हैं। औद्योगिक अदालत ने यूनियन की अर्जी खारिज करते हुए कहा, इस पर कोई विवाद नहीं है कि यह शिकायत करते वक्त आवेदक (धामनकर) यूनियन का सदस्य था और वह रजिस्ट्रार से मामला चलाने की इजाजत लेने का हकदार था(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,20.9.2010 में मुंबई की खबर)।
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