विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की विशेषज्ञ समिति ने जीव विज्ञान की प्रयोगशालाओं में मेंढकों, चूहों और अन्य प्राणियों की चीरफाड़ बंद करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि इसके बजाय विद्यार्थियों को ‘वर्चुअल’ अनुभव दिया जाना चाहिए।
जूलॉजी/लाइफ साइंस में प्राणियों की चीरफाड़ और उपयोग को रोकने लिए गठित इस समिति का नेतृत्व नेशनल असेंसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल के एचए रंगनाथ कर रहे हैं।समिति ने कहा कि 12वीं, इंटरमीडिएट और अंडर-ग्रेजुएट स्तर पर जूलॉजी/लाइफ साइंस के पाठ्यक्रम में चीरफाड़ को बंद कर दिया जाना चाहिए।
इसकी बजाय डिजिटल डिवाइस, वचरुअल चीरफाड़, वीडियो, माडल और चार्ट जैसे विकल्पों का इस्तेमाल किया जाए। समिति ने कहा कि प्रयोगों में प्राणियों के इस्तेमाल से जहां तक संभव हो सके बचा जाना चाहिए। अगर किया जाता है तो पूरी सावधानी और मानवता के साथ किया जाना चाहिए।
प्रयोगशालाओं में प्राणियों की चीरफाड़ बंद करने के लिए यूजीसी को कई निवेदन मिलने के बाद इस साल जनवरी में यह समिति गठित की गई थी। समिति की रिपोर्ट प्राणियों की चीरफाड़ पर यूजीसी की नीति का हिस्सा बनेगी। समिति ने जूलॉजी/एनिमल साइंसेज/लाइफ साइंसेज में केवल पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर चीरफाड़ की इजाजत दी। लेकिन साथ ही कहा कि विद्यार्थियों की तय संख्या को केवल एक प्राणी ही दिया जाना चाहिए(दैनिक भास्कर,दिल्ली,15.9.2010)।
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