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21 सितंबर 2010

नाकामी से न हों निराश

किसी शायर ने यूं ही नहीं कहा है, "शहसवार ही गिरते हैं मैदान-ए-जंग में, वे तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें।" आशय यह है कि जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, प्रत्येक प्रयास के मात्र दो ही पहलू होते हैं, सफलता या विफलता। सफलता निश्चित रूप से हर किसी को प्रफुल्लित करती है, हौसला बढ़ाती है, जबकि विफलता हमारा मनोबल कमजोर करती है। लेकिन तारीफ तो तब है, जबकि हम खुद को मिली नाकामी को ही अपनी कामयाबी की कुंजी मान लें। यह कठिन तो जरूर है, पर असंभव हरगिज नहीं। कैसे?

करें विश्लेषण

अगर आप किसी प्रयास/प्रतियोगिता में विफल रह जाते हैं। बावजूद इसके कि आपने भरपूर मेहनत की, कोई कसर नहीं छोड़ी। तो ऐसे में निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि नाकामी को खुद पर हावी न होने दें बल्कि यह देखने-समझने की कोशिश करें कि आपके प्रयासों में आखिर कमी कहां रह गई? ऐसा करने से आप कोशिश के दौरान हुई खामी को निश्चित रूप से खोज निकालेंगे और अगली बार उससे बचने का प्रयास करेंगे।

सकारात्मक सोच

थिंक पॉजीटिव ऑलवेज, यह एक अहम सूत्र है प्रगति का। यानी हमेशा सकारात्मक सोचिए, इससे आत्मबल मजबूत होता है। जब आप ऐसा करेंगे तो यकीन मानिए, आपको प्रत्येक नकारात्मक स्थिति में भी सफलता की एक नई राह निकलती महसूस होगी। जीवन में कामयाबी के लिए आपकी सोच का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। नकारात्मक सोच यानी निगेटिव थिंकिंग हमें हर पल सफलता से दूर करती जाती है, यह निराशा के दलदल की ओर ले जाती है कि हम अमुक कार्य नहीं कर सकते अथवा यह हमसे नहीं हो सकता या फिर यह हमारी किस्मत में नहीं है, वगैरह।

लक्ष्य का निर्धारण

जब हम किसी चीज को पाने की उम्मीद लेकर प्रयास करते हैं, वही हमारा लक्ष्य है। हमें उस पर अपनी नजर केंद्रित रखनी है। यानी पहले लक्ष्य का निर्धारण करना और फिर उस पर खुद को एकाग्र करना बहुत जरूरी है। मसलन, हमें क्या बनना है, हमारी कोशिश किस चीज को पाने की है, यह तय करना महत्वपूर्ण है। इससे आप खुद के द्वारा किए गए प्रयासों की समय-समय पर समीक्षा भी कर सकेंगे कि आपके कदम सही दिशा में हैं अथवा नहीं, क्या इसमें सुधार करना है या नहीं, अब आगे क्या करना चाहिए जैसे अहम विचारणीय बिंदुओं से आप रू-ब-रू होंगे। लेकिन यह सब तब होगा जब आपने अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित कर रखा होगा।

जरूरी है प्लानिंग

निश्चित सफलता पाने के लिए जरूरी यह है कि हम जो कुछ भी हासिल चाहते हैं उसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करें। बिना प्लानिंग हमारा एक भी कदम सार्थकता को प्राप्त नहीं कर सकता। हमें बतौर कॅरिअर जो भी क्षेत्र चुनना है, उसके लिए आवश्यक अर्हताएं क्या हैं और वे कैसे हासिल की जा सकती हैं, उसके उपरांत हमें अपने प्रयास को किस दिशा में आगे बढ़ाना है, जैसे अहम बिंदुओं की प्लानिंग कदम दर कदम हमारा रास्ता आसान करती है। परिणामस्वरूप, हमें अपने उद्देश्य में सफलता के लिए ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता।

चयन आदर्श का

बतौर लक्ष्य आपने कार्यक्षेत्र जो भी चुना हो लेकिन उस क्षेत्र विशेष में आप किसे अपना आदर्श यानी रोल मॉडल मानते हैं, इसका चयन भी बहुत जरूरी है। आदर्श का चयन यह तय करता है कि आपके लक्ष्य का स्तर क्या है, आप किस तरह की सफलता पाना चाहते हैं, यानी आपके मन में कामयाबी की किन बुलंदियों को छूने की तमन्ना है। इसलिए अपने रोल मॉडल यानी आदर्श का चयन अवश्य करें और वह भी गहन चिंतन मनन के बाद पूरी सावधानी से। रोल मॉडल का चयन आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाता है।

जारी रखें प्रयास

यह कतई जरूरी नहीं है कि हम या आप अपने पहले प्रयास में ही सफल हो जाएं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि हमारा पहला अथवा दूसरा प्रयास भी नाकाम रहता है अपने लक्ष्य को भेद पाने में। लेकिन इसका यह मतलब आप कतई न लगाएं कि हम अमुक लक्ष्य के योग्य नहीं है अथवा हमारे अंदर अमुक लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता नहीं है। किस्मत को तो कतई बीच में मत लाएं। बल्कि, पिछले प्रयास की गलतियों को सुधारते हुए एक बार फिर पूरी लगन और विश्वास के साथ कोशिश करें।
(भावना श्रीवास्तव,नई दुनिया,दिल्ली,20.9.2010)

1 टिप्पणी:

  1. हो न निराश तुम्हे मिला नहीं,
    यदि बेला, चंपा और गुलाब.
    नैराश्यभाव से तार न जोड़ो,
    आशा की कोई राग तो छेड़ो.

    देखते हो केवल रंग-रूप तुम,
    उससे रिसता लहू भी देखो...
    भ्रमित हुए हैं जीवन में कितने.
    कुछ अंतस में भी घुस कर देखो.

    पुष्प केवल बेला और गुलाब नहीं,
    ....अब गेंदा कनेर से नाता जोड़ो.
    इस गुलाब ने, बेला ने लुटे हैं,
    घरौदें, एक नहीं....बहुतेरे....
    बहुतों के गम दूर किये हैं -
    गेंदा ....और ....कनेरे.........

    अधिकारों की माँग बहुत है,
    गुलदस्तों में ये गरजते हैं.
    कर्त्तव्यों का है बोध उसे,
    अंगारे पर जो चलते हैं.

    यह बेला- गुलाब बिछ पथ में
    उनके पैरों में फिर चुभता है.
    यह तो है गेंदा कनेर जो
    पग के घाव को भरता है.

    राग जुड़ेगा सत्व से जब,
    सब रंग - रूप भूल जाएगा.
    मोहकता ही नहीं है सबकुछ,
    परख कभी जब हो जाएगा.

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