वैश्विक आर्थिक मंदी से पूरी तरह से पार पाना है तो दुनिया के देशों को बड़े पैमाने पर रोजगार के मौके मुहैया कराने होंगे। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का। इनके अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 तक दुनिया भर में 44 करोड़ नए रोजगार की जरूरत होगी। आईएमएफ के महानिदेशक डोमनिक स्ट्रॉस कान ने यहां एक सम्मेलन में कहा कि मंदी के और गहराने की संभावना नहीं है। मगर जब तक बेरोजगारी की दर में उल्लेखनीय कमी नहीं आती है तब तक संकट पूरी तरह से समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि बेहद अहम है लेकिन केवल वृद्धि ही पर्याप्त नहीं है। अगर लोगों को नौकरी गंवानी पड़ती है तो उन्हें स्वास्थ्य समेत कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इससे उनका सार्वजनिक संस्थानों और लोकतंत्र में विश्वास घटता है। आईएमएफ और आईएलओ ने संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का आयोजन किया है। आईएलओ ने अनुमान जताया है कि वर्ष 2007 के बाद से दुनिया भर में नौकरी खोने वालों की संख्या में 3.4 करोड़ की वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में 21 करोड़ लोगों के पास नौकरी नहीं है। नई कामकाजी आबादी को अगले दशक तक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 44 करोड़ नए रोजगार की जरूरत है। आईएलओ के प्रमुख जुआन सोमाविया ने कहा कि आर्थिक नीतियों के केंद्र में रोजगार सृजन को रखने के अलावा कोई उपाय नहीं है। हम वैसी नीतियों पर भरोसा नहीं कर सकते जिसने दुनिया को संकट में धकेला। सम्मेलन में भाग लेने वाले वैश्विक नेताओं ने भी बेरोजगारी से निपटने के लिए आपसी सहयोग को महत्त्वपूर्ण माना(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,15.9.2010)।
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