पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) ने वीरवार रात डीएवी कालेज के मसले पर कुछ इसी तरह बेवजह टांग फंसाई और खुद की जबरदस्त फजीहत करा ली। महज 12 घंटे के भीतर पीयू को अपना फैसला बदलना पड़ा। डीएवी कालेज के प्रिंसिपल डॉ. बीसी जोसन को मैनेजमेंट द्वारा सस्पेंड करने के निर्णय पर वीरवार देर रात पत्र जारी कर लगाई गई रोक का निर्णय सुबह होते-होते वापस लेना पड़ा। शुक्रवार को रजिस्ट्रार की ओर से डीएवी कालेज की मैनेजमेंट कमेटी के प्रधान के अलावा बीसी जोसन को पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि इस बाबत जो पहले पत्र भेजा गया है, उसे स्थगित समझा जाए। पत्र में बीसी जोसन के नाम के साथ निलंबित प्रिंसिपल भी लिखा गया। ऐसा बताया जा रहा है कि वीरवार को वीसी प्रो. आरसी सोबती शहर में नहीं थे और उनके पीछे से रजिस्ट्रार प्रो. एसएस बारी ने सेक्टर-10 स्थित डीएवी कालेज के प्रिंसिपल को निलंबित करने के फैसले पर रोक लगा दी। रजिस्ट्रार उच्च अधिकारियों को दलील दे रहे हैं कि पीयू के कैलेंडर में उन्हें यह अधिकार है। उधर, कानूनविदों का कहना है कि रजिस्ट्रार को अधिकार जरूर है, लेकिन इससे पहले उन्हें वीसी प्रो. आरसी सोबती को विश्वास में लेना चाहिए था। फिलहाल यह वीसी और रजिस्ट्रार को ही पता होगा कि मसले को लेकर उनकी बातचीत हुई थी या नहीं? ऐसा आरोप है कि कालेज के प्रिंसिपलों ने एक वरिष्ठ सीनेट सदस्य की अगुवाई में रजिस्ट्रार को मोहरा बनाया और उनके अधिकारों का हवाला देकर डीएवी मैनेजमेंट के फैसले पर रोक लगवा दी और इस बाबत देर रात पत्र भी जारी करवा दिया। रजिस्ट्रार ने दबाव में आदेश जारी भी कर दिए। वीसी को जब इस बाबत पता चला तो शुक्रवार सुबह उन्होंने रजिस्ट्रार से पूछा कि बिना कोई कानूनी राय लिए कैसे मैनेजमेंट के सस्पेंशन के फैसले पर रोक लगा दी। रजिस्ट्रार का जवाब था कि उन्होंने कानूनी राय ली थी। खैर वीसी और रजिस्ट्रार के बीच भले ही मसले को लेकर मतभेद रहे हों, लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी की सारे प्रकरण से जरूर फजीहत हो गई। उधर, डीएवी कालेज में आज जोसन पूर्व की तरह प्रिंसिपल के कमरे में बैठे और काम निपटाया। दूसरी ओर नवनियुक्त प्रिंसिपल शशि गुप्ता ने भी जरूरी आदेश जारी किए।
पीयू मांगेगी डीएवी मैनेजमेंट से दस्तावेज
पंजाब यूनिवर्सिटी मसले पर जोसन की चार्जशीट और मसले से जुड़े सारे दस्तावेज मंगाएगी जिसकी बिनाह पर उन्हें सस्पेंड किया गया है। मैनेजमेंट ने सस्पेंड करने के लिए जो चार्ज लगाए हैं उन्हें सिद्ध करने को भी कहा जा सकता है। मसले पर कानूनी राय लेकर पीयू अगला कदम उठाएगी(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,18.9.2010)।
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