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04 सितंबर 2010

दिल्लीःबिन शिक्षक बदहाल शिक्षा

नगर निगम गरीब वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। पर दिल्ली सरकार के साथ तालमेल के अभाव में यह राशि बेकार जा रही है। साढ़े छह हजार शिक्षकों की कमी के चलते निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग १० लाख बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

चिंता की बात है कि एक ओर निगम में कार्यरत शिक्षकों को वेतन का भुगतान समय से नहीं हो रहा। दूसरी ओर निगम के स्कूल शिक्षकों की तंगी झेल रहे हैं। निगम के १७४६ प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के २१,६३५ स्वीकृत पद हैं। इनमें से लगभग ६५०० पद वर्तमान में रिक्त पड़े हैं। निगम के स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती का काम दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा किया जाता है। यह दिल्ली सरकार के अधीन है।

नगर निगम के नेताओं व अधिकारियों की उदासीनता के चलते बोर्ड द्वारा शिक्षकों की भर्ती पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा। पीएसकेबी शिक्षक यूनियन के प्रमुख रामकिशन पूनिया का कहना है कि नगर निगम में शिक्षा निदेशक का पद भी नियमित नहीं है। विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों जैसे चौकीदार, नर्सरी आया, सफाई कर्मचारी व स्कूल अटेंडेंट के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। निगम में नर्सरी अध्यापिकाओं के लगभग १६०० पद स्वीकृत हैं। इनमें से ३८१ पद रिक्त पड़े हैं। इनके लिए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा हाल ही में विज्ञापन निकाला गया है। पर इसकी प्रक्रिया पूरी होते-होते एक साल का समय लग जाएगा। जबकि पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों को भी बोर्ड द्वारा ही भरा जाता है।

उन्होंने कहा कि जल्दी ही शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया गया तो स्कूलों में शिक्षा की हालत बदतर हो जाएगी। दूसरी ओर शिक्षा समिति के अध्यक्ष महेंद्र नागपाल ने बताया कि दिल्ली सरकार को ६५०० शिक्षकों की मांग भेजी गई है। यह प्रक्रिया पूरी होने तक के लिए २५१२ शिक्षकों को कॉंट्रेक्ट पर रखा गया है। इनकी सूची सभी जोन कार्यालयों में लग गई है। एक पखवाड़े के अंदर यह लोग अपना शिक्षण का कार्यभार संभाल लेंगे(हीरेन्द्र सिंह राठौड़,नई दुनिया,दिल्ली,4.9.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. यही करोड़ों रूपये अगर खाली पोस्टे भरकर उन अध्यापकों को दिया जाये तो सुधार हो सकता है।

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