घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों की शक्ल-ओ-सूरत बदलने का सरकार ने तरीका निकाल लिया है। ऐसे सभी उपक्रमों को सरकार निजी क्षेत्र की भागीदारी में संयुक्त उद्यम में तब्दील करने की संभावनाएं तलाश रही है जिन्हें फिर से प्रतिस्पर्धा में खड़ा किया जा सकता है। स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड में निजी कंपनियों की रुचि देख सरकार अब घाटे वाली बाकी कंपनियों के बारे में भी यही रास्ता अख्तियार करने जा रही है। हाल ही में भारी उद्योग मंत्रालय ने स्कूटर्स इंडिया को संयुक्त उद्यम (जेवी) में तब्दील करने का फैसला किया है। इसकी 74 प्रतिशत इक्विटी को निजी कंपनी को सौंपा जाना है। ऑटो क्षेत्र की निजी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने इस कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने को लेकर सरकार को प्रस्ताव दिया है। इस कंपनी में मिली सफलता के बाद अब सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय एचएमटी, आईटीआई और फर्टिलाइजर एंड केमिकल ट्रावणकोर लिमिटेड (फैक्ट) को संयुक्त उद्यम में तब्दील करने की संभावनाएं तलाश रहा है। भारी उद्योग व सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार की मंशा घाटे वाली उन कंपनियों को निजी कंपनियों की मदद से संयुक्त उद्यम में तब्दील करने की है जिनमें अभी सुधार की गुंजाइश बची है। इसका आकलन करने के लिए मंत्रालय ने इन तीनों कंपनियों के मामले सार्वजनिक उपक्रम पुनरोद्धार बोर्ड (बीआरपीएसई) को सौंप दिए हैं। स्कूटर्स इंडिया के लिए प्रस्ताव भी बीआरपीएसई ने ही तैयार किया है। सूत्र बताते हैं कि भारी उद्योग व सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय ने सेंट्रल इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (सीआईडब्लूटीसी) को भी संयुक्त उद्यम के जरिए फिर से चलाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस कंपनी को संयुक्त उद्यम में तब्दील करने के लिए आईडीएफसी बांग्लादेश को चुना गया है। चूंकि मामला बांग्लादेश से जुड़ा है, लिहाजा मंत्रालय ने इस संयुक्त उद्यम के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पास भेजा है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इस कंपनी को संयुक्त उद्यम में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि जिन कंपनियों को संयुक्त उद्यम में बदलने का प्रस्ताव है उनकी वित्तीय हालत में सुधार के लिए सरकार उनका कर्ज भी माफ कर सकती है। इसके अलावा उन्हें चालू हालत की स्थिति में लाने के लिए बैंकों से कम ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी की जाएगी। एचएमटी, आईटीआई और फैक्ट तीनों सरकारी कंपनियां पिछले कुछ साल से घाटे में चल रही हैं। 2009-10 में एचएमटी को 329.60 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि आईटीआई का घाटा इस अवधि में 294.40 करोड़ रुपये था। उत्तर प्रदेश में आईटीआई की तीन इकाइयां हैं। फैक्ट को 2009-10 में 103.84 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि इन कंपनियों का संचित घाटा इससे कहीं ज्यादा है। सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय ने सभी सार्वजनिक उपक्रमों के वर्ष 2009-10 के खातों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन कंपनियों का घाटा निरंतर बढ़ रहा है। ये घाटा और न बढ़े इसके लिए इन्हें निजी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम में तब्दील करने की कवायद चल रही है(नितिन प्रधान,दैनिक जागरण,दिल्ली,4.9.2010)।
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