भारत का ऐसे गिने-चुने देशों की सूची में शुमार हो गया है जहां पर विभिन्न प्रकार के प्रोडक्टस जिसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लेकर ऑटोमोबाइल शामिल हैं, का मैन्यूफैक्चरिंग हब स्थापित किया जा रहा है। विश्व की नामी कंपनियां सस्ते मानवे श्रम और उपलब्ध अन्य कच्चे माल को देखते हुए फैक्ट्रियां स्थापित करने हेतु मोटा निवेश करने से नहीं हिचक रही हैं। इसके अलावा देश की विशाल आबादी एवं तैयार बाजार भी इस प्रकार के निवेश को बड़े पैमाने पर आकर्षित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। बेरोजगारी के वर्तमान दौर में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर ट्रेंड और अनट्रेंड युवाओं के लिए उपलब्ध हो सकेंगे।
इसी क्रम में आज बात करते हैं ऑटोमोबाइल सेक्टर की। भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का स्थान दुनिया में नौवां है। शायद अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं होगी कि भारत में दुनिया में सर्वाधिक दोपहिया वाहनों का उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार ट्रैक्टर और तिपहिया उत्पादन में भी शीर्ष के देशों में भारत का नाम है। कमर्शियल वैहिकल के उत्पादन में विश्व में पांचवें पायदान पर और पैसेंजर कारों के मामले में तमाम विश्वविख्यात कार निर्माताओं के आने से स्थिति में आमूलचूल बदलाव देखा जा सकता है। इसी कारणवश जापान, कोरिया और थाईलैंड के बाद ऑटोमोबाइल निर्यातक के तौर पर भारत का नाम अत्यंत तेजी से विश्व पटल पर नाम उभरकर आया है।
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग जहां वर्ष २००२-०३ में लगभग १५ हजार करोड़ डॉलर के बराबर था वहीं यह २००६-०७ में लगभग ३५ हजार करोड़ डॉलर के आंकड़े को छू गया था। ऑटोमोबाइल उद्योग के रोजगारों में सिर्फ इंजीनियरिंग और टेक्नीकली ट्रेंड लोगों की ही आवश्यकता नहीं पड़ती है बल्कि तमाम अन्य ट्रेंड के लोगों के लिए भी बड़ी संख्या में रोजगार अवसर उपलब्ध हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक, एयर कंडिशनिंग, ऑटो एसोंसदी, डिजाइनिंग, साठंड सिस्टम इंजीनियरिंग से संबंधित विधाओं का नाम विशेषकर उल्लेखनीय है। इनके लिए रोजगार के अवसर ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिटों, बड़ी गैराजों, सर्विंसंग सेंटरों सेकेंड हैंड कार शोरूम इत्यादि में हो सकते हैं। इंजीनियरिंग डिग्रीधारकों, आईटीआई डिप्लोमाधारकों, पेंट एक्सपर्ट आदि की आवश्यकता इन जगहों पर आमतौर पर पड़ता है। कंप्यूटाइज्ड इंजन, इलेक्ट्रॉनिक इग्वीशन सिस्टम आदि के वाहनों में बढ़ते प्रचलन से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरों के लिए खासा स्कोप इस क्षेत्र में अब देखा जा सकता है। १० लाख से ज्यादा लोग फिलहाल इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। मारुति के साथ सुजूकी कंपनी के टाई-अप के बाद बड़े पैमाने पर ऑटोमोबाइल उत्पादन का एक नया युग ९० के दशक में शुरू हुआ था। इसी का परिणाम है कि आज कई कंपनियां अपना प्रोडक्शन बेस देश के विभिन्न शहरों में स्थापित किया जा चुका है। ऑडी, बीएमडब्ल्यू, शेवरलेट, मर्सिडीज, फोर्ड, जीएम स्कोडा आदि की भी जल्द मैन्यूफैक्चरिंग यूनिटें लगाने की योजना है। जाहिर है आने वाले समय में बड़ी संख्या में इस इंडस्ट्री की विभिन्न विधाओं में पारंगत लोगों की जरूरत पड़ेगी। देश में प्रोडक्शन बेस बनाने वाली अधिकांश कंपनियों की निगाहें नियति बाजार से ज्यादा भारत के घरेलू कार पर ज्यादा है। कार मैंयूफैक्चरिंग, मार्केटिंग और इंश्यारेंस आदि में इस प्रकार की संभावनाएं भविष्य में प्रबल होने की संभावनाओं को रोजगार की दृष्टि से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
झलकियां
*विश्व भर में १३ मिलियन से ज्यादा आबादी को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में जॉब्स मिले हुए हैं।
*वर्ष २००८ में ७ करोड़ वाहनों का विश्वव्यापी स्तर पर उत्पादन
* प्रति व्यवसायिक वाहन के उत्पादन से १३.३१ रोजगार, प्रति पैसेंजर उत्पादन से ०.४९ रोजगार सृजित होते हैं।
*महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा में अधिकांश ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित।
*टॉटो एंसिलरी, ऑटोमोबाइल पार्टस निर्माण उद्योग में भी बड़ी संख्या में रोजगार की संभावनाएं।
*ह्यूंदेई मोटर्स ने गत वर्ष में भारत में निर्मित २,४०,००० वाहनों का निर्यात किया।
*निसान मोटर्स का लक्ष्य वर्ष २०११ तक २,५०,००० वाहनों का भारत से निर्यात करने का लक्ष्य।
*ऑटोमोबाइल सैक्टर की वार्षिक विकास दर आगामी वर्षों में १३.१५ प्रतिशत होने की संभावना।
*वर्तमान में भारत में ४ करोड़ से ज्यादा वाहन।
* इस समय ९,३५,००० हजार रजिस्टर्ड सीएनजी वाहन हैं जबकि वर्ष २००० में इनकी संख्या मात्र १० हजार थी।(अशोक सिंह,नई दुनिया,दिल्ली,13.9.2010)
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