प्रदेश में 25 सितंबर से लागू हो रहे लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी कानून में सरकार दो साल के दौरान जरूरी बदलाव कर सकेगी। ये संशोधन आदेश एक्ट को लागू करने में आने वाली दिक्कतें दूर करने के लिए हो सकेंगे।
वक्त पर सेवाएं नहीं देने वाले और इसकी प्रथम अपील में न्याय नहीं करने वाले अधिकारी अपने ऊपर लगे जुर्माने के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। जुर्माना सेवा में देरी के लिए रोजाना ढाई सौ रुपए और अधिकतम पांच हजार रुपए होगा।
मप्र लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
ऐसे काम करेगा कानून
एक्ट के दायरे में लाई गई सेवा देने के लिए हर कार्यालय में अधिकारी प्राधिकृत किए जाएंगे। जो लोक सेवा का आवेदन मंजूर करेंगे। आवेदन मंजूर न करने एवं उसे मंजूर कर तय समय सीमा में अपेक्षित सेवा न देने पर उनके खिलाफ 30 दिन के अंदर प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन दिया जा सकेगा।
प्रथम अपीलीय अधिकारी भी अपेक्षित सेवा न दे तो 60 दिन के भीतर द्वितीय अपीलीय अधिकारी को आवेदन देना होगा।
द्वितीय अपीलीय अधिकारी को अधिकार होगा कि वह प्राधिकृत अधिकारी को अपेक्षित लोक सेवा देने का आदेश दे।
सेवा न देने पर द्वितीय अपील अधिकारी प्रथम अपील अधिकारी पर न्यूनतम 500 रुपए तथा अधिकतम 5 हजार रुपए जुर्माना अर्थदंड लगा सकेगा।
प्राधिकृत अधिकारी लोक सेवा देने में विलंब करता है तो द्वितीय अपीलीय अधिकारी उस पर 250 रुपए प्रतिदिन का जुर्माना लगा सकेगा, जो अधिकतम पांच हजार रुपए हो सकेगा। यह रकम हर्जाने के रुप में आवेदक को भी मिल सकेगी।
प्राधिकृत अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी के खिलाफ द्वितीय अपीलीय अधिकारी सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की भी सिफारिश कर सकेगा।
जुर्माना देने के पूर्व प्राधिकृत अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी को सुनवाई का मौका दिया जाएगा।
द्वितीय अपीलीय अधिकारी के जुर्माना आदेश के विरुद्ध प्राधिकारी अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी 60 दिनों के अंदर राज्य सरकार के नामांकित अधिकारी के सामने अपील कर सकेंगे।
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