हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाला राजभाषा विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार विभाग में सौ से ज्यादा राजपत्रित और अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं। मंत्रालयों में हिंदी के कार्यान्वयन के लिए विभाग ने अनेक योजनाएं शुरू की हैं लेकिन अधिकांश योजनाएं कागजों में ही जोरदार ढंग से काम पूरा कर रही हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी के कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए देश के विभिन्न प्रमुख नगरों में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है।
राजभाषा संबंधी सांविधानिक और कानूनी उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा संघ के सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए गृह मंत्रालय के एक स्वतंत्र विभाग के रूप में राजभाषा विभाग काम कर रहा है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा स्थापित हिंदी सलाहकार समितियों से संबंधित कार्य का समन्वय इस विभाग के प्रमुख कार्यों में से एक है। मगर, केंद्रीय गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति का गठन नवंबर २००५ में हुआ था। समिति का कार्यकाल तीन साल का होता है। फिलहाल नई सलाहकार समिति का गठन नहीं हो पाया है। इसी प्रकार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय की सलाहकार समितियों का भी यही हाल है। हिंदी को लेकर सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय हिंदी समिति का गठन भी समय पर नहीं हो पाता। इस समिति का गठन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों में हिंदी के प्रचार तथा समन्वय की दृष्टि से किया जाता है।
इसका कार्यकाल भी तीन वर्ष का होता है। इसका पुनर्गठन दिसंबर २००४ को यूपीए सरकार द्वारा किया गया था। कायदे में इस समिति का गठन पुनः २००७ में होना चाहिए था, लेकिन हुआ २००९ में। वैसे, राजभाषा विभाग की २००८-०९ की वार्षिक रिपोर्ट के ३.८ के "हिंदी के पत्राचार" संबंधी पैरा में कहा गया है कि मंत्रालयों और विभागों द्वारा राजभाषा विभाग को भेजी गई तिमाही प्रगति रिपोर्टों में यह देखा गया कि हिंदी में पत्राचार का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया गया। रिपोर्ट के अनुसार राजभाषा विभाग मुख्यालय में राजपत्रित अधिकारियों के चार पद रिक्त पड़े हैं तो अराजपत्रित कर्मचारियों के ग्यारह पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान में राजपत्रित अधिकारियों के दस और अराजपत्रित कर्मियों के ७२ पद रिक्त पड़े हैं(मनोज वर्मा,नई दुनिया,दिल्ली,8.9.2010)।
अच्छी जानकारी है ....
जवाब देंहटाएं( कौन हो भारतीय स्त्री का आदर्श - द्रौपदी या सीता.. )
http://oshotheone.blogspot.com
शोचनीय स्थिति है.. जब सरकार ही भाषा को बढ़ावा देने में इतनी ढिलाई करेगी तो जनता को ज्यादा दोष देना उचित नहीं है...
जवाब देंहटाएंकहने से दिखता कब बेहोशी का मनजर
जवाब देंहटाएंहम तो नस नस मे छुपाये बैठे है