राजभाषा हिंदी को एक बार फिर अपमानित होना पड़ा। गृहमंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में हिंदी की जगह अंग्रेजी की उपस्थिति पर न केवल हंगामा हुआ, बल्कि भाजपा सदस्यों ने तो अंग्रेजी दस्तावेजों को फाड़ कर बैठक का बहिष्कार कर विरोध भी दर्ज कराया। गृहमंत्री चिदंबरम तो बैठक में आए ही नहीं। हालांकि उनकी जगह अध्यक्षता कर रहे समिति के उपाध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी ने अंग्रेजीदां अधिकरियों की जमकर खबर ली। संसदीय राजभाषा समिति की बुधवार को हुई बैठक उस समय हंगामे में डूब गई जब कुछ दस्तावेज हिंदी के बजाय अंग्रेजी में पेश किये गये। सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान लोक कार्मिक व पेंशन विभाग के अधिकारी ने हिंदी में दस्तावेज मुहैया कराने में असमर्थता जताई और दो टूक कहा कि मंत्रालय के पास हिंदी अनुवादकों की कमी है। जब सदस्यों ने याद दिलाया कि राजभाषा अधिनियिम की धारा 3 (3) के तहत हिंदी में दस्तावेज होना जरूरी है, अधिकारी ने जवाब दिया कि यह उनके मंत्रालय पर लागू नहीं होता। इसका भाजपा सांसदों ने कड़ा विरोध किया। सूत्रों के अनुसार भाजपा सांसद रमेश बैस ने तो अंग्रेजी दस्तावेजों को फाड़ कर फेंक दिया और इस मामले में कड़ी कार्यवाही करने की मांग की। समिति की अध्यक्षता कर रहे उपाध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि वह धारा 3 (3) के तहत कार्रवाई की सिफारिश करेगें। भाजपा सांसद प्रभात झा ने कहा कि जब हिंदी पखवाड़े में ही हिंदी का अपमान मंत्रालय द्वारा किया जाएगा, तब राजभाषा समिति की बैठक में उनके रहने का क्या औचित्य है। इसके बाद भाजपा के तीनों सदस्य बैठक से बहिर्गमन कर गए। समिति के अध्यक्ष होने के बावजूद गृहमंत्री पी. चिदंबरम इस बार की बैठक में आए ही नहीं। पिछले साल बैठक में वे आए थे तो उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.9.2010)।
दुखद और अफ़सोसजनक!
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