साक्षरता दर के हिसाब से देशभर के अति पिछड़े 210 जिलों के समक्ष हिमाचल का चंबा जिला प्रेरणास्रोत बनेगा। यहां के सरकारी विभागों के पढ़े-लिखे अधिकारी व कर्मचारी अपने स्तर पर निरक्षर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न केवल पढ़ाएंगे, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी भी देंगे। पात्र कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए जरूरी 5वीं कक्षा की परीक्षा भी दिलाई जाएगी। इस तरह सरकारी विभागों के निरक्षर दिहाड़ीदार कर्मी और चतुर्थश्रेणी कर्मचारी भी पदोन्नति हासिल कर पाएंगे। साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत जहां अभी देश के बाकी जिलों में प्राथमिक कार्य भी शुरू नहीं हुआ है वहीं चंबा इस योजना के साथ सामने आया है। योजना के अनुसार वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई व जनस्वास्थ्य विभाग सहित अन्य बड़े विभाग इस पहल से जुड़ेंगे। चंबा के जिलाधिकारी देवेश कुमार का कहना है कि एक माह के भीतर पूरे जिले से निरक्षर दिहाड़ीदारों, आंगनवाड़ी सहायिकाओं व चतुर्थश्रेणी कर्मियों की सूची बनाई जाएगी। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से उन्हें साक्षर किया जाएगा। अभियान में जिला साक्षरता समिति चंबा व राज्य संसाधन केंद्र शिमला भी मदद करेंगे। राज्य संसाधन केंद्र शिमला के निदेशक डॉ. ओमप्रकाश भूरेटा का कहना है कि उन्होंने जिला प्रशासन के साथ मिलकर अभियान की रूपरेखा तैयार करने में सहयोग दिया है। पहले चरण में साक्षर होंगे 54 हजार महिला व पुरुष : राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत चंबा जिले में 15 साल से ऊपर की आयु वर्ग में 1.20 लाख की निरक्षर आबादी में 54 हजार महिला-पुरुषों को 2012 तक साक्षर किया जाएगा। जिले की चुराह तहसील में महिला साक्षरता दर पूरे प्रदेश में सबसे कम है। यह दर 32.10 है। इसके अलावा भलेई, पांगी व होली सब तहसील में यह दर 50 फीसदी से कम है।
सरकारी विभागों में दस हजार से अधिक कर्मी निरक्षर :
चंबा जिले के सरकारी विभागों में अनुमानित 10 हजार से अधिक दिहाड़ीदार व चतुर्थश्रेणी कर्मी निरक्षर हैं। उदाहरण के लिए सलूणी में कुल 109 आंगनवाड़ी सहायिकाओं में 38 निरक्षर हैं। सभी विभागों के अनपढ़ कर्मियों की सूची तैयार हो जाने के बाद अभियान का अगला चरण शुरू होगा। जिलाधिकारी देवेश कुमार का कहना है कि उन्हें सभी विभागों से सक्रिय सहयोग मिल रहा है। अगले माह तक सूची तैयार हो जाएगी। निरक्षर कर्मियों को अक्षर ज्ञान के अलावा उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताया जाएगा। मसलन निरक्षर आंगनवाड़ी सहायिकाओं को पोषाहार व स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिक जानकारी दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के निरक्षर कर्मियों को जलजनित रोगों व हाईजीन के बारे में जागरूक किया जाएगा(रजनीश शर्मा,दैनिक जागरण,शिमला,20.9.2010)।
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