अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के साथ ही देश में नौकरियों का बाजार भी गुलजार होना शुरू हो गया है। बेहतर नौकरी की आस लगाए पेशेवरों को अच्छे मौके मिलने शुरू हो गए हैं। चालू वित्त वर्ष 2010-11 के शुरुआती पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में चार महानगरों में सबसे ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। इसी कड़ी में मुंबई दूसरे और चेन्नई तीसरे पायदान पर रहा। उद्योग चैंबर एसोचैम के एक हालिया सर्वेक्षण में रोजगार के इस रुझान का पता चला है। देश के 60 शहरों में नौकरियों के अवसरों के बारे में एसोचैम द्वारा किए गए अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि आईटी, इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, रियल एस्टेट, एविएशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में नौकरियों का बाजार गरम है। इसी के तहत विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों को अप्रैल से अगस्त के दौरान रोजगार के 2,40,314 अवसर प्राप्त हुए हैं। रोजगार सृजन के मामले में एनसीआर का सर्वाधिक 34.2 प्रतिशत का योगदान रहा। मुंबई की भागीदारी 12.70 और चेन्नई की 6.12 प्रतिशत रही। चौथे पायदान पर कोलकाता रहा। रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में आईटी और इससे जुड़े ट्रेड्स में सबसे ज्यादा 57.06 प्रतिशत नौकरियां पैदा हुई। बात यहीं पूरी नहीं होती। नौकरी के अवसर छोटे से लेकर बड़े हर स्तर उपलब्ध हुए हैं। एसोचैम के मुताबिक रोजगार का यह रुख आगामी छह महीनों तक जारी रहने की उम्मीद है, लेकिन लॉजिस्टिक, एफएमसीजी, बैकिंग क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में कमी आई है। बाजार में थ्रीजी मोबाइल सेवा लांच करने की तैयारियों में जुटीं टेलीकॉम कंपनियों में भी रोजगार के उतने अवसर सृजित नहीं हुए, जितने की उम्मीद की जा रही थी। उद्योग चैंबर ने चिंता जताई कि आगामी महीनों में आईटी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) क्षेत्र में पेशेवरों द्वारा नौकरी छोड़ने का सिलसिला तेज हो सकता है। दैनिक जागरण से बातचीत में एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली जैसे बुनियादी ढांचों के विकास से गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर सृजित हुए हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा अप्रशिक्षित श्रमिकों को मिला है(दैनिक जागरण,दिल्ली,20.9.2010)।
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