राजभवन में काम कराना है तो फाइल अंग्रेजी में ही भेजनी होगी। महामहिम से बात करनी है, तो भी अंग्रेजी ही माध्यम है। भले ही राजभाषा विभाग हिंदी के विकास और विस्तार के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करता है। विभाग ने हिंदी में ही काम करने का परिपत्र तक जारी कर रखा है, लेकिन राज्य में इसके उलट हो रहा है।
राष्ट्रपति शासन के दौरान जारी हुए कैबिनेट के पांच जून के परिपत्र के अनुसार, राज्यपाल के पास भेजी जाने वाली हर फाइल में टिप्पणी या प्रस्ताव अंग्रेजी में ही देने की बाध्यता है। इस फैसले से जहां एक ओर हिंदी संगठन नाराज हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों-कर्मचारियों को परेशानी हो रही है। हालांकि जानकारों का कहना है कि गवर्नर को हिंदी न आना कोई अपराध नहीं है।
अधिकारी ले रहे ट्यूशन
अधिकारियों को राज्यपाल के पास भेजे जाने वाले प्रस्ताव, टिप्पणी या मेमोरेंडम अंग्रेजी में अनुवाद कराने पड़ रहे हैं। उन्हें जानकार कर्मचारियों की खुशामद करनी पड़ रही है। कई अधिकारी तो अंग्रेजी की ट्यूशन तक ले रहे हैं।
अंग्रेजी का आदेश जटिल हिंदी में
करीब दो सौ शब्दों के पूरे पत्र में निर्देशानुसार, उपयरुक्त, निष्पादन, सारगर्भित, उपस्थापन जैसे करीब 100 जटिल हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। क्या कहता है राजभाषा अधिनियम : झारखंड सरकार के कामकाज की भाषा हिंदी है। राजभाषा अधिनियम के तहत कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक, सभी के हिंदी में काम-काज करने का नियम है। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार व राजभाषा विभाग द्वारा जारी परिपत्र में फाइल पर टिप्पणी लिखने से लेकर हस्ताक्षर तथा नेमप्लेट भी हिंदी में लिखने का निर्देश है(जीतेंद्र कुमार,दैनिक भास्कर,रांची,14.9.2010)।
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