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14 सितंबर 2010

ग्वालियरःमंदिर में बैठी हैं हिंदी माता

अपने देश की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति लोगों का लगाव अलग-अलग रूप में देखने को मिलता है लेकिन ग्वालियर शहर की पहचान इस मायने में कुछ अलग है। यहां विश्व का एक मात्र हिंदी माता का मंदिर बना हुआ है, जहां हिंदी माता की प्रतिमा भी स्थापित है।

इस मंदिर में अन्य मंदिरों की तरह रोजाना भक्तगण दर्शन करने के लिए आते हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित देश के अन्य शहरों में भी ऐसे मंदिर खोलने की तैयारी चल रही है।

ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय अभिभाषक मंच ने घोसीपुरा स्टेशन के पास सत्यनारायण की टेकरी, गेंडे वाली सड़क पर पांच साल पहले हिंदी माता का मंदिर स्थापित किया। इस संस्था से न केवल स्थानीय वकील जुड़े हुए हैं बल्कि कई प्रदेशों के न्यायाधीश भी इसके सदस्य हैं।

मंदिर के संचालक वरिष्ठ वकील विजयसिंह चौहान बताते हैं कि हिंदी माता मंदिर बनाने के बाद शहर के कवियों, साहित्यकारों को इस मंदिर से जोड़ा गया, जिन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने की दिशा में काफी प्रयास किए। इसके साथ ही इसमें माता की प्रतिमा को विशेषतौर पर विराजमान किया गया, ताकि लोगों में जो मां के प्रति प्रेम होता है वह इस मंदिर के प्रति भी जागृत हो। इस मंदिर के अंदर हाथ में वर्णमाला की पुस्तक लिए पृथ्वी और प्रकृति पर विराजमान मां की मूर्ति स्थापित है जो लोगों को मां होने के साथ-साथ हिंदी के प्रति अपनी भावना भी व्यक्त कर रही है।

रोज जाते हैं १00 से अधिक लोग

हिंदी माता के दर्शन के लिए रोजाना लगभग 100 से अधिक लोग जाते हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या कवि, साहित्यकार और हिंदी भाषियों की होती है। जो यहां प्रतिदिन इनकी पूजा अर्चना करते हैं, साथ ही अपने परिवार और मिलने जुलने वाले लोगों को भी हिंदी भाष अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

शहरों में भी होगा हिंदी माता मंदिर

विश्व में पहले मंदिर के रूप में हिंदी माता मंदिर को अब अन्य शहरों में भी बनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे अन्य शहरों के लोगों में भी हिंदी भाषा के प्रति सम्मान जागृत हो। चेन्नई, काठमांडू, दिल्ली और प्रदेश में शिवपुरी,श्योपुरकला,घाटीगांव में हिंदी माता मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया है।

साहित्यकारों के बीच लाए हैं हिंदी को

गांधी और लोहिया के बाद हिंदी का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा था लेकिन कई संस्थाओं ने इस ओर कदम बढ़ाया खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय अभिभाषक मंच ने हिंदी भाषा को कवियों,साहित्यकारों के बीच रखा है।

विजय सिंह चौहान,अभिभाषक मप्र उच्चन्यायालय(गरिमा अग्रवाल,दैनिक भास्कर,ग्वालियर,14.9.2010)

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