औद्योगिक वृद्धि के आंकड़ों पर रिजर्व बैंक द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि मैन्युफैक्चिरिंग क्षेत्र की मजबूती से ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ेगी। इससे मध्य एवं लंबी अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि और तेज होगी। कौशिक बसु ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि कहा कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हाल में जो तेजी देखने को मिली है वह स्थायी है। अर्थव्यवस्था पर इसके आगे काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही सेवा व कृषि क्षेत्र में भी लगातार सुधार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं जिससे आने वाले वर्षो में आर्थिक विकास की दर काफी संतोषप्रद रह सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने के दौरान मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हुई वृद्धि एक बार का संशोधन नहीं है बल्कि देश के कारखाना क्षेत्र के वृद्धि की नई ऊंचाईयों पर जाने की शुरुआत है। उनका यह बयान इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को ही औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर संदेह जताते हुए कहा था कि यह वास्तविकता से परे है। रिजर्व बैंक ने अपनी मध्य तिमाही समीक्षा में कहा था कि साल दर साल आधार पर औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पहले चार माह में 11.4 प्रतिशत रही है। पर पिछले दो माह के उतार-चढ़ाव को देखते हुए इस बात पर संदेह होता है कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर का सूचकांक कितने प्रभावी तरीके से औद्योगिक क्षेत्र की मूलभूत गति को दर्शाता है।कौशिक बसु के मुताबिक चालू वित्त वर्ष कि दूसरी तिमाही की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत से कम रह सकती है। मगर तीसरी तिमाही की वृद्धि दर पहली तिमाही की 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर से भी ज्यादा रहेगी। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का प्रदर्शन इससे पहले कभी ऐसा देखने को नहीं मिला था। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सभी अनुमानों को झुठलाते हुए 13.8 प्रतिशत रही। औद्योगिक उत्पादन में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है। इस दौरान इस क्षेत्र की वृद्धि दर 15 फीसद रही थी। राजकोषीय घाटे पर उन्होंने कहा कि यह जीडीपी के 5.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से कम रहेगा। छह महीने से पहले जब वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट पेश करते हुए वर्ष 2010-11 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.5 फीसदी तय किया था तब किसी को भरोसा नहीं था कि इसे हासिल भी किया जा सकेगा। मगर थ्रीजी व बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम नीलामी व बेहतर राजस्व संग्रह से साफ होता जा रहा है कि राजकोषीय घाटे की स्थिति इतनी बुरी नहीं रहेगी। बसु को उम्मीद है कि यह पांच फीसदी के करीब रह सकता है।(दैनिक जागरण,दिल्ली,18.9.2010)।
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