भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसके साथ-साथ यह चाय का सबसे बड़ा उत्पादक भी है। साफ है कि हमारे यहां चाय इंडस्ट्री का कारोबार अपने आप में कई संभावनाएं समेटे हुए है। आप भी चाहें तो चाय की इस लगातार बढ़ती इंडस्ट्री में अपने लिए उपयुक्त अवसर तलाश सकते हैं।
हमारे देश की चाय इंडस्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज में से एक है। हमारे यहां चाय के 13000 से अधिक बागान हैं और इस इंडस्ट्री में बीस लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार की जरूरतें पूरी करने वाली हमारी चाय इंडस्ट्री में कॅरियर के लिहाज से काफी संभावनाएं हैं। हालांकि इस कॅरियर के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते, लेकिन इस इंडस्ट्री में रोजगार पाना आपके लिए दिलचस्प होने के साथ-साथ अर्थप्रद भी हो सकता है।
इंडस्ट्री के बारे में
यह इंडस्ट्री भारत में 20,00,000 से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देती है। यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का बड़ा जरिया है और सरकार को इससे काफी राजस्व भी हासिल होता है। भारतीय चाय इंडस्ट्री का कुल टर्नओवर 9000 करोड़ रुपए है। फिलहाल हमारी चाय इंडस्ट्री में 1692 पंजीकृत चाय उत्पादक, 2200 पंजीकृत चाय निर्यातक, 5548 पंजीकृत चाय खरीदार और नौ चाय नीलामी केंद्र हैं।
कार्यक्षेत्र
चाय इंडस्ट्री से जुड़े कामों में प्लांटेशन, प्रोसेसिंग, नीलामी, ब्रांडिंग, मार्केटिंग व रिसर्च शामिल है। प्लांटेशन से जुड़े काम में चाय के पौधों की समुचित देख-रेख व विकास सम्मिलित है। इसमें मिट्टी तैयार करना, उर्वरकों का इस्तेमाल और चाय की पत्तियों को चुनना भी शामिल है। प्रोसेसिंग से जुड़े काम के अंतर्गत फैक्टरियों में पत्तियों को मोड़ना, पीसना, कूटना इत्यादि शामिल है। इसके बाद तैयार चाय को पैकबंद कर नीलामी केंद्रों को भेजा जाता है। नीलामी केंद्रों में विभिन्न बागानों से आए चाय के सैंपलों की पारखी लोगों द्वारा टेस्टिंग, ब्लेंडिंग और ब्रांडिंग की जाती है। आप चाहें तो टी-ब्रोकर भी बन सकते हैं। टी-ब्रोकर्स ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें बाजार के बारे में अच्छी जानकारी होती है। मार्केटिंग के लोग अंतिम उत्पाद को बाजार में ले जाते हैं।
रोजगार
चाय इंडस्ट्री से जुड़े कई काम हैं, जिनमें आप विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। चाय टेस्टिंग इसमें सर्वाधिक विशेषीकृत कार्यक्षेत्रों में से एक है। रिसर्च, प्लांटेशन मैनेजमेंट, टी ब्रोकरेज और कंसल्टेंसी इससे जुड़े कुछ अन्य काम हैं, जिनमें विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। आप चाहें तो फैक्टरी मैनेजर के तौर पर काम कर सकते हैं। इसमें पौधरोपण, पत्तियों को चुनना, प्रोसेसिंग से लेकर चाय की पैकिंग और इन्हें नीलामी केंद्रों को भेजने जैसे तमाम काम शामिल हैं। यहां फ्रैशर्स को असिस्टेंट के तौर पर काम मिल सकता है और अनुभव हासिल करने के साथ-साथ वे मैनेजर की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं। टी टेस्टर के तौर पर आपको चाय के विभिन्न जायकों के बीच अंतर की पहचान करते हुए सैंपल्स को उनकी क्वालिटी के मुताबिक वर्गीकृत करना होता है। ज्यादातर चाय कंपनियां क्वालिटी स्टैंडर्ड बरकरार रखने और इसके अलग-अलग ब्लेंड्स तैयार करने के लिए टी टेस्टर्स की नियुक्तियां करती हैं।
चाय प्रबंधन के क्षेत्र में एक और कार्यक्षेत्र है रिसर्च। यह इस इंडस्ट्री का एक अभिन्न हिस्सा है। इस इंडस्ट्री में रिसर्च कृषि-वनस्पति विज्ञानियों, बॉयोटेक्नोलॉजिस्ट्स द्वारा अंजाम दी जाती है। ये बीमारी-रोधी और उच्च पैदावार वाली चाय की किस्मों के विकास के लिए शोध करते हैं। इस क्षेत्र में असम के जोरहट में स्थित द टी रिसर्च एसोसिएशन इसका प्रमुख संस्थान है। इन शोधार्थियों को ज्यादातर अनुसंधान परिषदों व चाय बागान के मालिकों के यहां काम मिल सकता है। आप चाहें तो चाय ब्रोकर के तौर पर भी काम कर सकते हैं। देश में ऐसे कई ब्रोकरेज हाउस हैं जहां ये ब्रोकर देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित चाय बागानों से आने वाले सैंपलों को टेस्ट करते हैं।
जो लोग ब्रोकर बनने की चाह रखते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि आपके चाय निर्माताओं और खरीदारों से अच्छे संपर्क हों। टी मैनेजमेंट में कंसल्टेंसी इस कॅरियर से जुड़ा एक और आयाम है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया समेत विभिन्न चाय परिषदें सलाहकारों को नियुक्त करती हैं। अनुभवी चाय निर्माता रोपित की जाने वाली चाय की अलग-अलग किस्मों, कर्मचारियों की नियुक्ति व प्रशिक्षण, हर्जाना, अन्य लाभ व सुविधाओं के संदर्भ में पेशेवर सलाहकारों की सेवाएं ले सकते हैं।
योग्यता
टी इंडस्ट्री का हिस्सा बनने की चाहत रखने वाले व्यक्तियों में इस पेशे के प्रति दिलचस्पी और रुझान होना जरूरी है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह कॅरियर सर्वाधिक मुफीद है। इसमें कॅरियर बनाने के इच्छुक लोगों को चाय बाजार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। टी टेस्टर बनने के लिए जरूरी है कि आपकी स्वाद कलिकाएं बेहतर स्थिति में हों, ताकि आप अलग-अलग स्वाद में आसानी से अंतर कर पाएं। यदि आप बेहतर टी-टेस्टर बनना चाहते हैं तो धूम्रपान, शराबनोशी से दूर रहें। यदि आप इस क्षेत्र में ब्रोकर बनने की इच्छा रखते हैं तो आपको अपने काम में अनुशासित होना चाहिए। इसके अलावा आपमें विभिन्न चाय निर्माताओं व उत्पादकों से अच्छे संपर्क स्थापित करने की क्षमता होनी चाहिए। नेतृत्व की खूबियां और कामगारों को संभालने का हुनर प्लांटेशन व फैक्टरी मैनेजर में होना जरूरी है।
शिक्षा
इसके लिए किसी खास तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है। बुनियादी ज्ञान हासिल करने वाला कोई भी शख्स चाय इंडस्ट्री से जुड़कर इस काम से संबंधित जरूरी हुनर अर्जित कर सकता है। हालांकि एग्रीकल्चर, बॉटनी, फूड साइंस, हॉर्टीकल्चर या इससे संबंधित अन्य विषय में बीएससी डिग्रीधारियों को प्राथमिकता मिल सकती है। बिजनेस मैनेजमेंट या मार्केटिंग में विशेषज्ञता हासिल करने वालों को चाय इंडस्ट्री के मार्केटिंग विभाग में काम मिल सकता है। इससे जुड़े किसी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए न्यूनतम योग्यता दसवीं या बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण होना है। ये संस्थान चाय निर्माण से लेकर इसकी प्रोसेसिंग, फाइनेंस, मार्केटिंग और सेल्स तक सब कुछ सिखाते हैं। टी टेस्टिंग भी इस पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
पारिश्रमिक
इस क्षेत्र में आपकी लाइफस्टाइल काफी बेहतर हो सकती है। यहां ट्रेनीज को ही मासिक तौर पर 15,000 रुपए तक मिल जाते हैं। सीनियर प्रोफेशनल्स महीने में 25,000 से 30,000 रुपए तक कमा सकते हैं, वहीं स्पेशलाइज्ड प्रोफेशनल्स के मामले में यह आंकड़ा 40,000 से 50,000 रुपए तक हो सकता है।
संस्थान
असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट (असम)
डिपार्टमेंट ऑफ टी हस्बेंड्री एंड टेक्नोलॉजी, जोरहट।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट, बेंगलुरु।
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ फ्युचरिस्टिक स्टडीज, कोलकाता।
द टी टेस्टर्स अकादमी, कुन्नूर (केरल)
असम दार्जिलिंग टी रिसर्च सेंटर, दार्जिलिंग।
यूपीएएसआई टी रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोयंबटूर।
(करिअर मंत्र,दैनिक भास्कर,13.9.2010)
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