श्रीनगर (गढ़वाल) और हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कालेजों में अर्से से कार्यरत होने के बावजूद फैकल्टी, नर्सिग, फार्मासिस्ट और मिनिस्टीरियल स्टाफ को संविदा और ठेका नियुक्ति के ठप्पे से छुटकारा नहीं मिल रहा है। तमाम स्टाफ बगैर सेवा नियमावलियों के कार्य कर रहा है। इनके लिए सेवा नियमावली नहीं बनी है। इससे विभिन्न संवर्गों में स्थायी नियुक्ति, पदोन्नति का रास्ता बंद है। राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर के साथ अब हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी सेवा नियमावली न होने से स्टाफ में बेचैनी है। इससे पहले हल्द्वानी मेडिकल कालेज फारेस्ट ट्रस्ट के अधीन संचालित रहा। राजकीयकरण के साथ ही कालेज में विभिन्न संवर्गो में कार्यरत स्टाफ को ट्रस्ट के बजाए अब राजकीय नियमावली के तहत कार्य करना होगा। सेवा नियमावलियां बनने से कालेजों में संविदा और ठेके के बजाए स्थायी नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा। दोनों कालेजों के लिए सेवा नियमावलियां तैयार की जाएंगी। कालेजों में प्राचार्य के साथ ही सीनियर फैकल्टी के रूप में प्रोफेसर, डीन, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर फैकल्टी के रूप में जूनियर डाक्टर नियुक्त किए गए हैं। नर्सिग, फार्मासिस्ट और लेबोरेट्री व विभिन्न उन्नत उपकरणों के लिए टेक्निशियन कार्यरत हैं। श्रीनगर मेडिकल कालेज में तो फैकल्टी को छोड़कर ज्यादातर स्टाफ प्रतिनियुक्ति व सामान्य रूप से तैनात है। चिकित्सा शिक्षा अपर सचिव सीएस नपलच्याल ने कहा कि मेडिकल कालेजों में विभिन्न संवर्गो के लिए सेवा नियमावलियां बनाने की कसरत शुरू की गई है। महकमे को इस संबंध में कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,19.9.2010)।
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