इंटरनेट की ब़ढ़ती उपयोगिता ने सामाजिक संबंधों को भी एक नया आयाम दिया है। सूचना के इस महाजाल से सिमटती दुनिया में लोगों को उनके मित्रों और रिश्तेदारों की गतिविधियों से अपडेट रखने में सामाजिक नेटवर्किंग साइटें बहुत लोकप्रिय हो रही हैं और ये आपकी अपनी हिंदी भाषा में भी उपलब्ध हैं।
ऑरकुट, फेसबुक जैसे नाम अब अनजाने नहीं हैं और छोटे-छोटे गांवों तक लोग इनसे परिचित हैं। इंटरनेट का उपयोग करने वाले ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिनके इनमें से किसी भी साइट पर अकाउंट न हो। ये सामाजिक नेटवर्किंग साइटें समान रुचि वाले लोगों को आपस में अपनी गतिविधियां साझा करने और एक-दूसरे के बारे में जानने का स्थान उपलब्ध कराती हैं।
सभी उम्र के लोगों में ऑरकुट और फेसबुक खासे लोकप्रिय हैं और वे अपने स्कूल और कॉलेज के मित्रों से जु़ड़ने, उन्हें अपनी गतिविधियों की जानकारी देने, डेटिंग, फोटो साझा करने, वीडियो दिखाने या टिप्पणी करने के लिए बेहतरीन टूल्स उपलब्ध कराती हैं। हिंदीभाषी यूजरों में इनकी लोकप्रियता के कारण ही इनके हिंदी संस्करण भी उतारे गए हैं जहां आप पूरी तरह हिंदी का उपयोग कर सकते हैं।
इसी तरह ओरेकल ने स्कूली विद्यार्थियों के लिए लक्षित अपनी नेटवर्किंग साइट थिंक डॉट कॉम का भी हिंदी संस्करण प्रस्तुत किया है। देश-विदेश के हजारो हिंदी और अंग्रेजी स्कूलों में विद्यार्थियों के बीच समन्वय ब़ढ़ाने के लिए इसे आधिकारिक रूप से उपयोग किया जा रहा है। यहां विद्यार्थी एक-दूसरे से जु़ड़कर अपनी जिज्ञासाओं पर चर्चा करते हैं जिससे उन्हें विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसी के माध्यम से दुनिया के किसी भी स्कूल के शिक्षक किसी दूसरे स्कूल के बच्चो के सवालों का जवाब दे सकते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। माता-पिता का अपने बच्चों की गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण भी होता है।
लिंक्डइन जैसी साइटों के माध्यम से पेशेवर लोग एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। नवीनतम रूझान ये बताते हैं कि नौकरी देने वाली कंपनियां विश्व भर से प्रतिभाओं को ढूंढने के लिए पेशेवर जॉब साइटों की बजाय लिंक्डइन का अधिक उपयोग कर रही हैं। ये साइटें न सिर्फ युवाओं और विद्यार्थियों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो रही हैं जिन्हें किसी ना किसी मामले में वैश्विक सलाह या मदद चाहिए। लोग अपनी पसंद के लोगों का एक नेटवर्क बनाकर उनसे मनचाहे विषयों पर चर्चा करते हैं(जितेन्द्र जायसवाल,नई दुनिया,दिल्ली,8.9.2010)।
आपने सही कहा कि इन दिनो इन साइट्स ने हिंदी की उपयोगिता को एक नया आयाम दिया है!
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