सुखाडिया विश्वविद्यालय के संघटक कला महाविद्यालय के उर्दू विभाग में मेरिट और कायदे कानूनों की अनदेखी करके गेस्ट फैकल्टी में चहेती अभ्यर्थी को नियुक्ति देने के आरोप लगने के बाद अधिष्ठाता ने आनन- फानन में उन सभी पांच जनों की नियुक्तियां निरस्त कर डाली, जो निर्धारित चयन प्रक्रिया के आधार पर चुने गए।
इस मामले में यह आरोप लगा था कि मेरिट सूची में अंतिम स्थान पर रही एक अभ्यर्थी को छठे स्थान पर लाकर गेस्ट फैकल्टी के रूप में रख लिया गया। इस पर एतराज उठे। मामले की शिकायत कुलपति को हुई तो अब नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिया गया। हालांकि जिस नाम को लेकर विवाद हुआ था उसका 27 अगस्त के निरस्ती आदेश में कहीं उल्लेख नहीं है।
ये है मामला
विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय में गेस्ट फैकल्टी के लिए 4 अगस्त 2010 को चयन प्रक्रिया आयोजित की गई, जिसमें आठ अभ्यर्थी शामिल हुए। मेरिट के आधार पर शाहिद मोहम्मद पठान, रिजवाना ईमाम, डॉ. शबनम हुसैन, तरन्नूम जहां एवं रहनुमा शेख का चयन आदेश क्रमांक उर्दू/जीएफ/2010/ 367 के तहत दिनांक 4 अगस्त 2010 को किया गया, जबकि छठे स्थान पर सैयद फिरोज अली, सातवें पर बेबी तरन्नूम मंसूरी एवं आठवें स्थान पर डॉ. शकीला रिजवी को रखा गया।
पांचों चयनित अभ्यर्थियों ने 5 अगस्त को विभाग में ज्वाइन भी कर लिया। 18 अगस्त को महाविद्यालय की अधिषाता ने मेरिट सूची सहित चयन प्रक्रिया की फाइल उर्दू विभाग प्रभारी डॉ. रईस अहमद से अपने पास मंगवा ली। विभाग प्रभारी ने कुलपति से शिकायत में बताया कि चयन के बाद हुई बैठक में मेरिट सूची में अंतिम स्थान पर रही अभ्यर्थी को गेस्ट फैकल्टी के रूप में बैठक में बुलाया गया।
चार अगस्त की बैठक में पांच जनों का चयन करते हुए मेरिट सूची बनाई थी। छठे अभ्यार्थी का चयन कब किया इसकी जानकारी मुझे नहीं है। न ही इस विषय में मुझे से अघिषाता ने सलाह की। महाविद्यालय की अधिषाता ने 19 अगस्त को एक पत्र जारी कर 20 अगस्त को बैठक बुलाई ताकि विभागीय कार्य का विभाजन किया जा सके।
इसमें गेस्ट फैकल्टी के रूप में डॉ. शकीला रिजवी एवं डीन नोमिनी के रूप मे प्रो. एन.एस. राठौड को शामिल किया। जिसका मैंने विरोध करते हुए बहिष्कार किया। जब डॉ. शकीला का चयन ही नहीं किया गया तो उन्हें किस हैसियत से शामिल किया।
- डॉ. रईस अहमद, प्रभारी उर्दू विभाग(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,3.9.2010)
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