एआईसीटीई से एप्रुवल मिलने के बाद राज्य के कई फार्मेसी कालेजों में बढ़ी हुई सीटों पर एडमिशन हो रहा है पर स्टूडेंट्स इस बात से अंजान है कि चार साल बाद उनका फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया में रजिस्टे्रशन हो पाएगा या नहीं। नए सेशन 2010-2011 के लिए राज्य के तीन कालेजों ने सीट में इजाफा करने एआईसीटीई से परमिशन तो ले ली और सीएसवीटीयू से भी एफिलेशन हो गया पर पीसीआई से मान्यता नहीं मिली है।
इसका प्रमाण इंटरनेट पर जारी पीसीआई की वेबसाइट पर है जहां एआईसीटीई, डीटीई छत्तीसगढ़ और सीएसवीटीयू में इन कालेजों की सीटें बढ़ी हुई बताई जा रही है जबकि पीसीआई की साइट में पुरानी सीटों का ही उल्लेख है।
परमिशन नहीं मिली तो...
रूंगटा ग्रुप के डायरेक्टर सोनल रूंगटा का कहना है कि एडमिशन के लिए एआईसीटीई का एप्रुवल जरूरी होता है और बढ़ी हुई सीटों के लिए वहां से एप्रुवल मिल चुका है। रही बात पीसीआई की तो उसके लिए अभी चार साल का वक्त है और वे तीन साल के भीतर बढ़ी हुई सीटों के लिए परमिशन ले लेंगे। दूसरी तरफ नए स्टूडेंट्स के मन में एक सवाल यह उठ रहा है कि अगर डेंटल कालेज की तर्ज पर उन्हें परमिशन नहीं मिली तो क्या होगा? उनका यह भी कहना है कि चार साल उन्हें इस बात की टेंशन रहेगी कि पीसीआई में उनका रजिस्ट्रेशन हो पाएगा या नहीं?और अगर होगा तो समय पर होगा कि नहीं?
पीसीआई का रोल महत्वपूर्ण
राज्य के शिक्षा सचिव नारायण सिंह भी इस बात को मानते हैं कि बढ़ी हुई सीटों की मान्यता में पीसीआई का रोल महत्वपूर्ण है। अगर परमिशन नहीं मिलती है तो युवाओं का भविष्य अधर में रह जाएगा। बिना मान्यता के उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो सकेगा। श्री सिंह ने कहा कि कालेज प्रबंधन को इसके लिए प्रयास करने चाहिए कि जल्द से जल्द मान्यता संबंधी प्रक्रिया पूर्ण करें ताकि छात्र निश्चित हो सकें।
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