छात्रों की एक सभा गुरुवार को इलाहाबाद के चंद्रशेखर आजाद पार्क में हुई। इस अवसर पर ऑल इंडिया एमफिल/पीएचडी एसोसिएशन (एआईएमपीए) का गठन किया गया। इसमें एमफिल डिग्री धारकों के साथ भेदभाव पर चिंता जताई गई। बैठक की अध्यक्षता सुमित द्विवेदी ने की। इन दिनों इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अतिथि प्रवक्ताओं के चयन के लिए प्रक्रिया चल रही है। इसमें एमफिल डिग्री धारकों को यूजीसी की नई गाइडलाइन का हवाला देकर किनारे कर दिया गया। इस कृत्य से एमफिल डिग्री का औचित्य ही समाप्त हो गया। वास्तविकता यह है कि 11 जुलाई 2009 के पहले की एमफिल की डिग्री मान्य है। इसे देखते हुए एमफिल डिग्रीधारी बीपीई की कक्षाएं ले सकते हैं। इसी संदर्भ में समिति के राष्ट्रीय सचिव संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि इविवि में अतिथि प्रवक्ताओं के चयन के लिए जो मानक रखे गए हैं वह भेदभाव पूर्ण हैं। यूजीसी के दिशा निर्देशों की सही व्याख्या नहीं हो रही है। इसके चलते छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,3.9.2010)।
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