केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी आरक्षण का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ के फैसले की गलत व्याख्या का आरोप लगाया गया है। याचिका में हाईकोर्ट का फैसला निरस्त करने की मांग की गई है। गत 7 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू में प्रवेश के मामले में कट-आफ मार्क्स को क्वालीफाइंग मार्क्स माना था और उसी हिसाब से ओबीसी उम्मीदवारों को 10 नंबर की छूट दिए जाने का आदेश दिया था। चेन्नई आईआईटी के पूर्व निदेशक पीवी इंदरसन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के 7 सितंबर के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट का कट आफ मार्क्स को क्वालीफाइंग मार्क्स मानना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या है। सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी आरक्षण को सही ठहराने वाले अपने फैसले में कहा था कि ओबीसी उम्मीदवार को कट आफ मार्क्स में से 10 अंकों की छूट दी जा सकती है। इंदरसन का कहना है कि कट आफ मार्क्स व क्वालीफाइंग मार्क्स में बहुत अंतर होता है, दोनों को समान नहीं माना जा सकता। गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की लेकिन पीठ ने तय तिथि पर ही सुनवाई किए जाने का आदेश दिया(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,17.9.2010)।
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