इंटरनेशनल होने का दावा करने वाली पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में सुविधाएं लोकल स्तर की भी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। पीएयू कॉलेज आफ होम साइंस में बाल एवं मानव विकास विभाग की चाइल्ड डेवलपमेंट लैब में बने झूलों का बुरा हाल है।
यह लैब बच्चों के मनौविज्ञान एवं उनके संपूर्ण विकास से संबंधित अध्ययन के लिए बनाई गई है। एमएससी छात्रों को इस लैब की मदद से कोर्स करवाए जाते हैं। कई छात्र लैब में आने वाले बच्चों की मदद से ही अपनी रिसर्च पूरी करते हैं।
मानव एवं बाल विकास विभाग की इस लैब में पीएयू मुलाजिमों के बच्चों के लिए डे केयर सेंटर, क्रैच, आफ्टर स्कूल केयर और नर्सरी स्कूल उपलब्ध हैं। हर वर्ग के लिए लगभग 35 सीटें हैं। रिसर्च के लिए बनी इस लैब में बच्चों के लिए हर सुविधा उपलब्ध रहनी चाहिए। उनके भोजन, सोने एवं खेलने का प्रबंध भी लैब में रहता है। यही कारण है कि बच्चों के खेलने के लिए यहां पर झूले लगाए हैं। लेकिन इन झूलों की हालत खस्ता है। कई झूले जंगाल लगने की वजह से गल चुके हैं।
जगह जगह से टूटे हुए हैं। अब यह बच्चों के लिए सुरक्षित भी नहीं रहे। जब सुबह बच्चों को बाहर लाया जाता है तो वह खेल भी नहीं पाते। यहां पर बच्चों के मिट्टी में खेलने के लिए विशेष जगह बनाई गई थी। वैज्ञानिकों का तर्क था कि इससे उनके हाथ मजबूत होते हैं और मिट्टी के लिए प्यार की शुरुआत होती है।
धूल से बिल्कुल दूर रहने वाले बच्चे धूल नहीं झेल पाते। लेकिन अब इन तीनों घेरों में घास उग आई है। लंबे समय से न तो इनकी पेंटिंग हुई है और न ही रिपेयर। एमएससी छात्रों के लिए इस लैब का बहुत महत्व है। विभाग के प्रमुख काफी समय से छुट्टी पर हैं। यही कारण है कि इस लैब कम स्कूल का चार्ज कभी एक तो कभी दूसरे अध्यापक के पास जाता रहता है।
सूत्रों के मुताबिक झूलों की रिपेयर के लिए दो साल में एक बार भी कालेज से फंड नहीं मांगा गया। अलग अलग लोगों के पास चार्ज होने के कारण ही लैब की उपेक्षा हो रही है। कालेज आफ होम साइंस की डीन डा. नीलम गरेवाल का कहना है कि वह इस मामले की जांच कराएंगी। टूटे झूले जल्द ही ठीक करवाए जाएंगे(ननु जोगिंदर सिंह,दैनिक भास्कर,लुधियाना,4.9.2010)।
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