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12 सितंबर 2010

एससी बार एसोसिएशन का सदस्य बनना मुश्किल

लालू यादव और अमर सिंह चार साल पहले भले ही आसानी से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य बन गए हों लेकिन अब किसी भी वकील के लिए देश के इस प्रतिष्ठित संगठन की नियमित सदस्यता प्राप्त करना अब आसान नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने नियमों में व्यापक संशोधन करके अस्थायी सदस्य का नया वर्ग शुरू करने का फैसला किया है।

इस वर्ग के तहत सदस्यता ग्रहण करने वाले वकील स्थायी सदस्यता मिलने तक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के न तो चुनाव लड़ सकेंगे और न ही एसोसिएशन की आम सभा की बैठक में हिस्सा ले सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन नियमित रूप से सुप्रीम कोर्ट में वकालत नहीं करने वाले सदस्यों की बढ़ती संख्या से बेहद चिंतित थी। पिछले एक साल से ऐसे सदस्यों को एसोसिएशन के चुनाव लड़ने और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित करने की कवायद चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की विशेष आमसभा ने सदस्यता के नियमों में संशोधन के बारे में महत्वपूर्ण प्रस्ताव भारी बहुमत पारित किया है।

नए सदस्य को दो साल की अस्थायी सदस्यता मिलेगी और फिर इसके बाद कुछ शर्तों को पूरा करने पर ही उसे नियमित सदस्य बनाया जाएगा। यह व्यवस्था गत वर्ष १४ सितंबर से प्रभावी मानी गई है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की विशेष आमसभा की बैठक में गत गुरुवार को तीन प्रस्तावों पर गुप्त मतदान कराया गया। बार एसोसिएशन की आमसभा ने अस्थायी सदस्यता का वर्ग शुरू करने के प्रस्ताव के साथ ही नए सदस्यों के लिए प्रवेश शुल्क में भी व्यापक संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस संशोधन के बाद प्रवेश शुल्क के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता को साढ़े साथ हजार के बजाय बीस हजार रुपए, दस साल से अधिक समय से वकालत कर रहे वकील को साढ़े तीन हजार के बजाय दस हजार रुपए और दस साल या इससे कम अवधि से वकालत करने वाले सदस्य को दो हजार के बजाय साढ़े सात हजार रुपए देने होंगे।

यह वृद्धि १० सितंबर से प्रभावी है। एक अन्य प्रस्ताव में आमसभा ने बार एसोसिएशन के २००९-१० और २०१०-११ के खातों के ऑडिट के लिए मेसर्स एसआर बंसल एंड कंपनी को ऑडिटर नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के नियमों में संशोधन के लिए पारित प्रस्ताव के तहत अब एसोसिएशन की सदस्यता लेने के इच्छुक वकील को पहले दो साल के लिए अस्थायी सदस्य बनाया जाएगा।

अस्थायी सदस्य को एसोसिएशन के पुस्तकालय, वाचनालय और कैंटीन की सेवाएं लेने का अधिकार होगा लेकिन वह एसोसिएशन के चुनाव नहीं लड़ सकेगा और न ही इसमें मतदान का अधिकारी होगा।

प्रस्ताव के अनुसार दो साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसे वकील को नियमित सदस्यता दी जा सकती है बशर्ते इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में वह हर साल कम से कम पांच मुकदमों में प्रमुख वकील के रूप में पेश हुआ हो। यही नहीं, ऐसे सदस्य के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता या एडवोकेट ऑन रिकार्ड के साथ हर साल कम से कम बीस मामलों में भी उपस्थिति अनिवार्य है(अनूप भटनागर,नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,११.९.२०१०)।

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