बीपीएल परिवारों, अल्पसंख्यकों व वंचित तबकों की बालिकाओं ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों (केजीबीवी) के जरिए माध्यमिक स्तर तक अपनी पहुंच दर्ज करा दी है। केंद्र द्वारा आठवीं तक संचालित इन विद्यालयों को राज्य सरकार ने माध्यमिक स्तर तक पहुंचा दिया लेकिन शिक्षिकाएं, अन्य स्टॉफ बढ़ाने तथा अन्य सुविधाएं देने पर चुप हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत बालिका शिक्षा में पिछड़े 26 ब्लाकों में केजीबीवी खोले गए, जिनमें छठवीं से आठवीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था थी। छात्राओं की संख्या और लगन देख राज्य सरकार ने विद्यालयों को माध्यमिक तक का विस्तार दे दिया। यहीं से दिक्कत शुरू हो गई। केजीबीवी के लिए केंद्र से वित्तीय मदद महज 8वीं कक्षा तक मिलती है। लिहाजा माध्यमिक शिक्षा की जरूरत के लिहाज से स्टॉफ की तैनाती नहीं की गई है। राज्य सरकार ने बालिकाओं के आवास और नजदीकी विद्यालयों में पढ़ाई के लिए जरूरी बंदोबस्त के बारे में अभी तक नीति निर्धारित नहीं की। तकरीबन सवा दो सौ छात्राएं 11वीं दाखिला पा चुकी हैं। नौवीं और दसवीं में तकरीबन चार सौ छात्राएं अध्ययनरत हैं। यानि कुल 26 केजीबीवी में छठवीं से आठवीं तक अध्ययनरत 1012 छात्राओं के साथ ही माध्यमिक कक्षाओं में भी लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है। इसके बावजूद पुराने तर्ज पर ही एक वार्डन, तीन पार्ट टाइम शिक्षक समेत स्टॉफ संख्या कुल नौ है। इनमें एक कंप्यूटर ऑपरेटर-लेखाकार, एक चौकीदार, एक चपरासी व दो रसोइया भी शामिल हैं। इनमें वार्डन का पद ही नियमित है। जरूरी स्टॉफ नहीं होने से बोर्ड परीक्षा में छात्राओं की पढ़ाई पर असर पड़ने का अंदेशा है। राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गोविंद सिंह बिष्ट का कहना है कि विद्यालयों को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के दायरे में शामिल करने के बारे में भी जल्द निर्णय लिया जाएगा(रविंद्र बड़थ्वाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण, १२.९.२०१०)।
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