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19 सितंबर 2010

सिविल सेवा नतीजों में संशोधन की मांग पर अनशन जारी

सिविल सेवा की प्रीलिमिनरी परीक्षा में असफल रहे छात्रों का नतीजों में कथित रूप से अनियमितताओं के आरोप में जंतर-मंतर पर पिछले तीन हफ्तों से क्रमिक अनशन जारी है। आरोप है कि परीक्षा के जरिए की गई छात्रों की छंटाई में अनियमितता की गई है। अकेले राजधानी में इस वजह से करीब4 हजार छात्र प्रभावित हुए हैं।


उनमें से कई का दावा है कि वे पिछली दो परीक्षाओं में मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार तक दे चुके हैं, लेकिन इस बार पेपर में अच्छा प्रदर्शन रहने के बावजूद चयनित छात्रों की सूची में उनका नाम नहीं है। छात्रों की मांग है कि संशोधन कर नतीजे दोबारा जारी किए जाए। पिछले साल परीक्षा में 585 अभ्यर्थी चुने जाने थे तब 12हजार छात्रों को प्रारंभिक परीक्षा के जरिए चुना गया, जबकि इस साल ९६१ अभ्यर्थियों को चुना जाना है, फिर भी 12 हजार छात्रों की ही सूची जारी हुई।


छात्रों का आरोप है कि जब अंतिम रूप से चुने जाने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा रखी गई है तो उसके लिए प्रिलिमनरी स्तर पर भी ज्यादा छात्रों को चुना जाना चाहिए था।


यूपीएससी द्वारा जारी किए गए नतीजे की पेजवार समीक्षा पेश करते हुए कहा कि परीक्षा में शामिल हुए छात्रों में रोल नं. 1 से 111521 में से ६३क्क्6300 छात्रों का नाम सूची में है जबकि इस रोल नंबर के बाद ४४क्क्९९ छात्रों में से केवल 5899 छात्रों का चयन हुआ है। नतीजों के पेज-१ पर २४५२ तक के रोल नंबर में से 452 छात्र चुने गए हैं जबकि अंतिम पेज तक पहुंचते-पहुंचते 132470 छात्रों में चुने गए छात्रों की संख्या महज 316 रह गई।


छात्रों ने एक आंकड़े पर और आपत्ति जताई है कि परीक्षा में शामिल हुए कुल छात्रों की संख्या 5 लाख 47 हजार ६९४ थी लेकिन रोल नंबर एक से शुरू होकर ५ लाख ५१ हजार ९३९ तक आवंटित किए गए। यानी 4245 संख्या बढ़ गई।


अनशन पर बैठे छात्रों को सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर है कि न तो आयोग ने कटऑफ अंक दिए और न ही उनकी अंक तालिका दी है। आरटीआई दाखिल करके जवाब मांगा गया तो आयोग ने अदालत में चल रहे वाद का हवाला देकर जानकारी मुहैया कराने से इंकार कर दिया। छात्रों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को इस बारे में ज्ञापन भेजा है साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी इस बारे में हस्तक्षेप की मांग की है। अब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे केंद्रीय सतर्कता आयोग से इस मामले की जांच कराने के लिए प्रयास करेंगे(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.9.2010)।

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