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04 सितंबर 2010

यूपीःबीएड की फीस तीस हजार फिक्स

फीस बढ़ने की सम्भावना से हलाकान बीएड के प्रवेशार्थियों के लिए एक अच्छी और बड़ी खबर है। प्रदेश सरकार ने बीएड की निर्धारित फीस को बढ़ाने से पूरी तरह से इनकार कर दिया है। उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार शासन ने बीएड की फीस तीस हजार निर्धारित की है और यह फीस इतनी ही रहेगी। इतना ही नहीं, फीस के सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा दिए गए अन्तरिम फैसलों के खिलाफ न्यायालय में अपील भी की जाएगी। बीएड में फीस का मसला वर्ष 2007 से ही विवादास्पद रहा है। इस मसले पर उच्च न्यायालय में कई वाद भी लम्बित हैं। इन सबको देखते हुए इस साल शासन ने बीएड प्रवेश परीक्षा कराने के पूर्व से ही तैयारी प्रारम्भ कर दी थी। उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की माने तो उत्तर प्रदेश प्राइवेट प्रोफेशनल एजुकेशनल इन्स्टीट्यूशन्स (रेग्यूलेशन आफ एडमीशन एन्ड फिक्सेशन आफ फी) एक्ट 2006 के प्रावधानों के तहत फीस के निर्धारण के लिए शासन की ओर से एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी। इस समिति में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और प्रमुख सचिव वित्त के साथ अन्य अधिकारी भी शामिल थे। समिति ने फीस के निर्धारण के पूर्व बीएड कालेजों को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया था। समिति ने बीएड की फीस करीब तीस हजार निर्धारित की थी। इतना ही नहीं, फीस को अंतिम रूप से लागू करने के पूर्व भी बीएड कालेजों को आपत्तियां दर्ज कराने का मौका दिया गया था। इसमें मात्र दो कालेजों ने आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इन आपत्तियों को निस्तारित करने के बाद समिति द्वारा निर्धारित फीस को सत्र 2010-11 के लिए स्वीकार किया गया था। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव डॉ.बी के गुप्ता ने मामले की पुष्टि करते हुए जागरण को बताया कि शासन ने अब इस फीस में कोई वृद्धि न करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने जिन विद्यालयों के सम्बन्ध में अन्तरिम आदेश जारी किया है, उनके छात्रों से अतिरिक्त फीस लविवि में जमा करा ली जाएगी(एल.एन.त्रिपाठी,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,4.9.2010)।

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