कालेजों के करीब दो सैकड़ा प्रोफेसर जल्द ही उठापटक के शिकार होना पड़ सकता है। इनमें से सर्वाधिक संख्या उन प्रोफेसरों की है, जो सालों से दूसरे कालेजों या विषय के पदों से वेतन ले रहे हैं। इनके अलावा करीब पचास प्रोफेसरों को नया आदेश निकालकर स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं जून में हुए तबादले के बाद से घर बैठे कई प्रोफेसरों को दोबारा पुराने कालेज मिल सकते हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने एक बार फिर लंबी तबादला सूची जारी करने की तैयारी कर ली है। वैसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समन्वय समिति में पहुंचने के पहले ही निचले स्तर पर बनाई गई सूची को आधा कर दिया गया था। विभाग ने चार अलग-अलग सूची तैयार की थी। चारों को मिलाकर करीब ढाई सौ सहायक प्राध्यापक व प्राध्यापकों के नाम थे। मगर काटछांट के बाद मात्र 60-70 नाम ही समन्वय में भेजे गए। इनमें भी पुराने आदेश में संशोधन वाले भी शामिल बताए जा रहे हैं। मगर उच्च न्यायालय में मुंह की खाने के बाद सालों से अटैचमेंट पर जमे करीब 130 प्रोफेसरों का तबादला निश्चित हो गया है। अदालत ने विभाग को आदेश दिया है कि पंद्रह दिन में इनकी स्थिति स्पष्ट करें। साथ ही तबादले को भी अदालत ने हरी झंडी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि अन्य कालेजों व विषयों के पदों से वेतन ले रहे शिक्षकों को हाल ही में खुले 18 नए कालेजों में पदस्थ किया जा सकता है। करीब एक दर्जन शिक्षकों का जून में किया गया तबादला निरस्त होने की संभावना है। वहीं इतने ही शिक्षकों के आदेश में संशोधन की भी उम्मीद है। करीब आधा सैकड़ा शिक्षकों के नाम वाली सूची एक-दो दिन में जारी होने की संभावना है। जानकारी के अनुसार विभाग ने इस बार जून-जुलाई में करीब 450 प्रोफेसरों के तबादले किए थे। वहीं एकमुश्त 150 प्रोफेसरों को उस कालेज के लिए एक तरफा रिलीव कर दिया था, जहां से उनका वेतन निकल रहा था। इनमें से कई प्रोफेसर कोर्ट चले गए थे। अंतरिम आदेश में तो अदालत ने इन्हें स्टे दे दिया था, लेकिन अंतिम फैसले में अदालत ने शासन से कहा है कि पद और विषय का ध्यान रखते हुए तबादला किया जाए(दैनिक जागरण,भोपाल,18.9.2010)।
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