बीकानेर में तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव की घोषणा के बाद अब राज्य सरकार ही पीछे हटती नजर आ रही है। सरकार की इस चुप्पी के पीछे कोटा में चल रहा विरोध भी एक कारण माना जा रहा है। वहां के जनप्रतिनिधि व अन्य वर्गोü से जुडे लोग तकनीकी विश्वविद्यालय की हिस्सेदारी के लिए तैयार नहीं है। बीकानेर में विश्वविद्यालय के प्रस्ताव का कोटा में पुरजोर विरोध किया जा रहा है। यदि सरकार ने इस सम्बन्ध में समय पर कोई फैसला नहीं किया तो अगले सत्र में इस विश्वविद्यालय के शुरू होने की संभावनाएं क्षीण हो जाएगी।
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने करीब दो माह पहले बताया था कि बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में राज्य का दूसरा तकनीकी विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव है।
इससे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर ने इसके लिए अपने स्तर पर मेहनत की और सरकार को बताया था कि तकनीकी विश्वविद्यालय के लिए यहां पर्याप्त संसाधन है।
बाद में मालवीय की सकारात्मक घोषणा से इंजीनियरिंग कॉलेज प्रशासन और भी सक्रिय हो गया। इस बीच तकनीकी शिक्षा विभाग के विशेषाधिकारी ने पिछले माह इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य को एक पत्र भेजकर विश्वविद्यालय की स्थापना से जुडे विभिन्न सवालों के जवाब मांगे थे। इसमें पूछा गया कि विश्वविद्यालय के लिए कितने बजट की आवश्यकता होगी। साथ ही इसकी स्थापना से तकनीकी शिक्षा के प्रसार व विकास में किस तरह बढोतरी हो सकेगी। पत्र में यह भी पूछा गया कि राज्य में चूंकि पहले से ही कोटा में राजस्थानी तकनीकी विश्वविद्यालय है, ऎसे में नए विश्वविद्यालय की जरूरत क्यों और किसलिए है।
यदि इसकी स्थापना की भी जाए तो दोनों का क्षेत्राधिकार किस तरह से हो सकेगा। प्राचार्य से यह भी पूछा गया है कि विश्वविद्यालय की स्थापना इंजीनियरिंग कॉलेज सोसायटी स्ववित्त पोषित प्रणाली के तहत करेगी। इस प्रणाली से वर्तमान में देशभर में कितने विश्वविद्यालय संचालित हो रहे है। यदि कोई चल रहा है तो उसका आधारभूत ढांचा किस तरह का है।
जवाब पर साधी चुप्पी
विशेषाधिकारी ने विश्वविद्यालय स्थापना के सम्बन्ध में जो सवाल किए थे उनके जवाब हमने पिछले माह ही भेज दिए, लेकिन उसका प्रत्युत्तर अभी हमें नहीं मिला है। नए विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर कोटा में भी विरोध शुरू हो गया है। संभवत: इसी वजह से सरकार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही। वैसे बीकानेर में नए तकनीकी विश्वविद्यालय के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। यहां इसकी स्थापना से तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की तो होगी ही, साथ ही कोटा स्थित विश्वविद्यालय पर काम का दबाव भी कम हो सकेगा। इसका फायदा विद्यार्थियों को ही मिलेगा। -प्रो. एम. पी. पूनिया, प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज, बीकानेर(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,18.9.2010)
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