राज्य मंत्रिपरिषद ने शनिवार को राज्य के सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को केन्द्र सरकार की तर्ज पर छठा वेतनमान देने का फैसला किया है। इस फैसले से राज्य के लगभग तीन लाख चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लाभान्वित होंगे। मंत्रिपरिषद ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, नगर निकायों, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद तथा विकास प्राधिकरणों में नियुक्त व कार्यरत सभी वर्कचार्ज व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नौकरी पक्की करते हुए उन्हें विनियमित करने का भी फैसला किया है। इस निर्णय का लाभ प्रदेश के 13,000 वर्कचार्ज और 13,800 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगा। मंत्रिपरिषद की बैठक में किये गए फैसलों की जानकारी प्रमुख सचिव सूचना विजय शंकर पांडेय ने दी। मंत्रिपरिषद ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल करते हुए राज्य के सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को केन्द्र सरकार की तरह 5200-20,200 रुपये वेतन बैंड और 1800 रुपये ग्रेड पे देने का फैसला किया है। इस फैसले का फायदा प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी के तीन लाख कर्मचारियों को मिलेगा। इसकी वजह से सरकार पर सालाना लगभग 350 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ बढे़गा। फिलहाल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4440-7440 रुपये का वेतन बैंड और 1300 रुपये ग्रेड पे रिप्लेसमेंट के तौर पर दिया जा रहा है। वेतन समिति ने सिफारिश की थी कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4440-7440 रुपये का वेतन बैंड दिया जाए और उनकी ग्रेड पे को बढ़ाकर 1300 से बढ़ाकर 1400 रुपये कर दिया जाए। वहीं इनके ऊपर वाले वेतन में तैनात तकरीबन 30,000 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को केन्द्र सरकार की तरह ही 5200-20,200 का वेतन बैंड व ग्रेड पे दिया जाए। मंत्रिपरिषद ने दोनों श्रेणियों को एक ही वेतन बैंड व ग्रेड पे में शामिल करने का फैसला किया है। चतुर्थ श्रेणी के सभी पदों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। प्रमुख सचिव सूचना ने बताया कि नई भर्ती पर रोक का फैसला छठे वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार किया गया है(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.9.2010)।
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