राज्य मंत्रिपरिषद ने शनिवार को सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस को शैक्षिक सत्र 2010-11 से बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। स्नातक स्तर के बीटेक, बी.आर्क और बी.फार्मा पाठ्यक्रमों की सालाना फीस को 25,000 से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति छात्र कर दिया गया है। वहीं एमटेक, एमबीए और एमसीए सरीखे स्नातकोत्तर कोर्स की वार्षिक फीस 17,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है। एनआरआई कोटे की पांच प्रतिशत सीटों में से प्रत्येक के लिए अब हर साल 5,000 के बजाय 7,000 अमेरिकी डॉलर अदा करने होंगे। फीस में छात्रावास शुल्क व परीक्षा शुल्क शामिल नहीं हैं। छात्रावास शुल्क नियमानुसार कॉलेजों की अधिशासी समिति के माध्यम से तय किया जाएगा जबकि परीक्षा शुल्क प्राविधिक विवि निर्धारित करेगा। वर्तमान सत्र से पहले के छात्रों पर पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। पिछले शैक्षिक सत्र में प्रवेश लेने वाले ऐसे छात्र जो फेल हो गए हैं या किसी और वजह से परीक्षा नहीं दे पाये हैं और फिर से सत्र 2010-11 में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेते हैं, उन पर शुल्क की नई व्यवस्था लागू होगी। प्रवेश के समय विद्यार्थियों से एक बार 5,000 रुपये की धनराशि प्रतिभूति के रूप में जमा करायी जाएगी जो कोर्स के अंतिम वर्ष के समाप्त होने पर वापस लौटा दी जाएगी। प्रदेश में 11 इंजीनियरिग कालेज हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.9.2010)।
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